न्यूज स्कैन ब्यूरो, किशनगंज
किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत जागीर पदमपुर में मनरेगा और पंद्रहवीं वित्त आयोग की योजनाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितता और घोटाले के गंभीर आरोप सामने आए हैं। स्थानीय निवासी मोहम्मद मिश्कात आलम ने पंचायत की मुखिया शायेदा बेगम और उनके पुत्र सरफराज आलम पर फर्जी हस्ताक्षर के जरिए सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का दावा है कि मुखिया, उनके पुत्र, पीआरएस, पीटीए, जेई और प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी ने मिलकर योजनाओं में हेराफेरी की है।
आरोप है कि एक ही योजना को दो बार स्वीकृत कराकर लाखों रुपये का गबन किया गया। बांध निर्माण और तालाबों की खुदाई के नाम पर बिना कार्य किए राशि की निकासी की गई। ग्रामीणों का कहना है कि मौजूदा तालाबों को दोगुना दिखाकर फर्जी दस्तावेज बनाए गए और राशि का बंदरबांट हुआ। 15 जून 2025 को जब ग्रामीणों ने मुखिया और पीआरएस से 2024-25 और 2025-26 की योजनाओं की जानकारी मांगी, तो उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उल्टे, मुखिया ने धमकी दी कि “सभी पदाधिकारी मेरे साथ हैं, जो करना है कर लो।”

मिश्कात आलम ने बताया कि 2023 से 2025 तक किसी भी योजना में सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया, जो पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत 25 जून 2025 को जिला पदाधिकारी, किशनगंज और 21 जून 2025 को उप विकास आयुक्त को साक्ष्य सहित दी, लेकिन 1 अगस्त 2025 तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद, उन्होंने शपथ पत्र के माध्यम से जिला पदाधिकारी को मामले की जानकारी दी।

ग्रामीणों ने मनरेगा और पंद्रहवीं वित्त आयोग की योजनाओं में 2024-25 तक हुए कार्यों की जाँच और दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की माँग की है। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, आर्थिक अपराध इकाई, मुख्य सचिव, पूर्णिया प्रमंडलीय आयुक्त, जिला पदाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी को भी भेजी गई है। ग्रामीणों का कहना है कि समाज के विकास के लिए वे निस्वार्थ कार्य करते हैं, लेकिन मुखिया के रवैये से विकास कार्य बाधित हो रहे हैं।

जाँच में देरी से ग्रामीणों में आक्रोश है। वे माँग कर रहे हैं कि यथाशीघ्र जाँच कर दोषियों को दंडित किया जाए, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक हकदारों तक पहुँचे।