राहुल कुमार ठाकुर, अररिया
बिहार विधानसभा चुनाव की तपिश बढ़ती जा रही है।प्रत्याशियों के साथ सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता चुनाव को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं।वहीं एनडीए और महागठबंधन के साथ एआईएमआईएम और जन सुराज जैसी पार्टियां एक एक सीट पर मंथन कर रही है।इन सबके बीच सीमांचल की 24 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के अलावा एआईएमआईएम की खास नजर है।सीमांचल प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।सीमांचल के अररिया,किशनगंज,पूर्णिया और कटिहार जिले के 24 सीटों पर 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए 12,महागठबंधन 7 और एआईएमआईएम अकेले 5 सीट जीतकर सीमांचल की सियासत में एक नई गाथा लिखी थी।पिछले चुनाव में एआईएमआईएम ने महागठबंधन को सीमांचल में भारी नुकसान पहुंचाया था।2020 का चुनाव पांच चरण में हुआ था और सभी चरण में हुए चुनाव में आशातीत सफलता के बाद सीमांचल महागठबंधन पिछड़ गया।महागठबंधन के विजय रथ को एआईएमआईएम ने सीमांचल में रोकने का काम किया था और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुल जीते छह सीट में पांच सीट सीमांचल से एआईएमआईएम ने जीता। एआईएमआईएम को अररिया में एक जोकीहाट और किशनगंज में चार बहादुरगंज,ठाकुरगंज,कोचाधामन,अमौर और बायसी विधानसभा सीट पर कामयाबी मिली थी।हालांकि बाद में जोकीहाट के एआईएमआईएम के विधायक शाहनवाज आलम ने अपने चार विधायकों को तोड़ पांच विधायकों के साथ राजद में शामिल हो गए थे।
सीमांचल का इलाका राजद और कांग्रेस का गढ़ रहा है।पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के समय राजद की बादशाहत थी। लेकिन एआईएमआईएम की सेंधमारी ने राजद और कांग्रेस के इस किले को ध्वस्त कर दिया।जिसे महागठबंधन फिर से वापस पाने के लिए अपनी एडी चोटी एक कर दी है।वहीं सीमांचल के चार जिलों में तीन जिलों में एनडीए एक नंबर पर रहा था।किशनगंज ही एकमात्र ऐसा जिला रहा जहां एनडीए का खाता नहीं खुला था।पिछले दिनों फारबिसगंज में गृह मंत्री के हुए कार्यक्रम में अमित शाह ने भी इसका जिक्र करते हुए सीमांचल के सभी चारों जिला में कामयाबी को लेकर कार्यकर्ताओं को टास्क भी दिया है।चूंकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप जायसवाल किशनगंज से हैं और इस बार के चुनाव में सीमांचल के एकमात्र भाजपा के सांसद प्रदीप कुमार सिंह को भी भाजपा ने स्टार प्रचारक बना रखा है।साथ ही पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद कटिहार से रहे हैं।ऐसे में एनडीए के लिए भाजपा और जदयू के साथ एनडीए के लिए सीमांचल फतह प्रतिष्ठा बना हुआ है।जहां तक एआईएमआईएम का सवाल है तो असदुद्दीन ओबेशी के साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किशनगंज के अमौर के विधायक अख्तरूल इमाम के लिए भी सीमांचल में पिछले चुनाव के कामयाबी को फिर से दोहराना प्रतिष्ठा की बात है।पिछले दिनों चार दिवसीय दौरे में असदुद्दीन ओबेशी ने जिस तरह ताबड़तोड़ सीमांचल में दर्जनों स्थानों पर सभा कर वोटरों की गोलबंदी की,उन्होंने इस चुनाव में अपने मंसूबों को स्पष्ट कर दिया।
पिछले 2020 की चुनाव की बात करे तो अररिया जिला के छह विधानसभा क्षेत्र में एनडीए को चार,जिसमें भाजपा को तीन,जदयू एक,महागठबंधन में कांग्रेस एक और एआईएमआईएम एक सीट पर कामयाबी पाई।किशनगंज जिला के सात विधानसभा में एआईएमआईएम चार,महागठबंधन में राजद एक और कांग्रेस ने एक सीट पर कामयाबी हासिल की थी।कटिहार जिला के सात विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए में भाजपा तीन और जदयू एक,महागठबंधन के दलों में कांग्रेस दो और सीपीआई (एमएल) ने एक सीट पर कामयाबी हासिल किया था।पूर्णिया जिला के पांच सीटों में एनडीए को चार सीट मिली थी।जिसमें दो भाजपा और दो जदयू और महागठबंधन में कांग्रेस को एक सीट जीतने में कामयाबी मिली थी।हालांकि पूर्णिया के रूपौली में 2019 में हुए जदयू नेत्री बीमा भारती के लोकसभा चुनाव में राजद में शामिल होने और प्रत्याशी बनने के बाद खाली हुए रूपौली विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में निर्दलीय नॉर्थ लिबरेशन आर्मी के संयोजक रह चुके शंकर सिंह ने जीत दर्ज की थी।उन्होंने जदयू के कलाधर मंडल को पराजित किया था और राजद की बीमा भारती तीसरे स्थान पर रही थी।
बहरहाल सीमांचल में दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होना है।नामांकन, संवीक्षा के बाद प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया गया है।चुनावी अखाड़े में ताल ठोक रहे प्रत्याशी भी चुनावी प्रचार में समर्थकों के साथ जुट गए हैं।एनडीए और महागठबंधन के दलों ने भी इस बार कई प्रत्याशियों के चेहरों को बदला है ताकि जनता का भरोसा कायम रह सके।लेकिन एनडीए और महागठबंधन में भीतरघात की भी संभावना काफी प्रबल है।ऐसे में सीमांचल की खामोश मतदाता किस राजनीतिक दल पर अपना प्यार लुटाती है,वह मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा।
सीमांचल की सीट एनडीए,महागठबंधन के साथ एआईएमआईएम के लिए क्यों है प्रतिष्ठा का सवाल















