- “बिहार रॉ लोकभाषा आरो अंगिका” विषय पर देशभर के विद्वानों ने रखे विचार
न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंगिका विभाग द्वारा बुधवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी सुबह 10:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक विश्वविद्यालय के अंगिका विभाग स्थित सेमिनार हॉल में आयोजित की गई। संगोष्ठी का उद्घाटन दीप प्रज्वलन, कुलगीत और स्वागत गीत के साथ हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत अंगिका विभाग की सहायक प्राध्यापिका एवं संगोष्ठी की संयोजक डॉ. शोभा कुमारी द्वारा लिखित पुस्तक “अंगिका साहित्य का इतिहास” के लोकार्पण से हुई। इसके उपरांत संगोष्ठी के विषय “बिहार रॉ लोकभाषा आरो अंगिका” पर चर्चा प्रारंभ हुई।
मुख्य वक्ता और विशिष्ट अतिथियों ने रखे विचार
संगोष्ठी की उद्घाटनकर्ता एवं संरक्षक के रूप में प्रो. (डॉ.) बहादुर मिश्र, डॉ. मधुसूदन झा, एवं प्रो. (डॉ.) योगेंद्र महतो उपस्थित थे। उन्होंने अंगिका भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार पर अपने विचार व्यक्त किए। कला एवं विकास पदाधिकारी अंकित रंजन ने भी अपने विचार रखे।
मुख्य वक्ता के रूप में विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल के हिंदी विभाग की प्रो. (डॉ.) मंजु रानी सिंह ने “अंगिका साहित्य में हो रही नई चुनौतियां” विषय पर विचार रखे। उन्होंने पूरे भारत में अंगिका भाषा की स्थिति पर जनसंख्या और सांस्कृतिक योगदान के आधार पर विश्लेषण प्रस्तुत किया।
बीज वक्ता के रूप में प्रो. शिव नारायण सिंह (अरविंद महिला कॉलेज, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय) ने अंगिका भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के प्रयासों की सराहना की और इसे राष्ट्रीय चेतना से जोड़ा। उन्होंने ‘सरहपद’ के नाम पर अंग प्रदेश में ‘सरहपर्व’ मनाने का भी सुझाव दिया।
विभिन्न सत्रों में हुए बहुआयामी विमर्श
संगोष्ठी के संयोजक डॉ. शोभा कुमारी, सचिव प्रो. अनिल कुमार और समन्वयक एवं निर्देशक प्रो. नीलम महतो (विभागाध्यक्ष, हिंदी एवं अंगिका विभाग) ने अंगिका भाषा के विकास की दिशा में इस आयोजन को एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
कार्यक्रम के मंच संचालन का पहला सत्र डॉ. शोभा कुमारी और कुमार गौरव, तथा दूसरा सत्र प्रो. अनिल कुमार और मंटू कुमार द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शोभा कुमारी ने प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी के आयोजन में अनूप श्रीविजयनी, डॉ. गौतम कुमार यादव, मनजीत सिंह सहित कई शिक्षक एवं शोधार्थियों का सक्रिय योगदान रहा। कार्यक्रम को सफल बनाने में टेक्नो पॉइंट के संस्थापक अंशु कुमार सिंह तथा अन्य साहित्यप्रेमियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
छात्रों की सांस्कृतिक प्रस्तुति ने बढ़ाई गरिमा
कार्यक्रम के अंतिम चरण में विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गईं। इस अवसर पर अमरेंद्र, आमोद कुमार, रंजन, राजकुमार, नीलू कुमारी, आरती कुमारी, राधा श्याम चौधरी, अर्पिता चौधरी, विमल, सरयू पंडित, ब्रह्मदेव नारायण, श्वेता भारती, विनोद, पवन, चंदा, लवली, आभा, अमृता, पूजा, राजनंदिनी, बबली, राजकुमार, लक्ष्मी, गिरधर मौजूद रहे।
संगोष्ठी के सफल आयोजन के अंत में डॉ. शोभा कुमारी ने भविष्य में और भी साहित्यिक सम्मेलनों के आयोजन की घोषणा की।