न्यूज स्कैन ब्यूरो,अररिया
फारबिसगंज तेरापंथ भवन में कोलकाता से आए हुए उपासक सुशील बाफना और सुमेरमल बैद की उपस्थिति में शुक्रवार को पर्युषण महापर्व का तीसरा दिन सामायिक दिवस के रूप में मनाया गया।
पर्युषण पर्व लौकिक पर्व नहीं बल्कि आध्यात्मिक पर्व है। जिसे त्याग तपस्या और संयम के साथ मनाया जाता है।कार्यक्रम की शुरुआत महिला मंडल के द्वारा पर्युषण पर्व के सामायिक दिवस पर आधारित गीतिका से की गई।
मौके पर मुख्य उपासक सुशील बाफना ने कहा कि सामायिक की महत्ता सभी जैन धर्म ग्रंथो आगमों में गाई गई है।सामायिक का शाब्दिक अर्थ है समता की आय करना। ज्ञान दर्शन चारित्र की आराधना करना सामायिक है। माया से रहित होकर समता से बैठना सामायिक है।सामायिक में लीन व्यक्ति आर्त और रौद्र ध्यान को छोड़ता है सामायिक में व्यक्ति छह जीवकायों को अभयदान देता है।मोहनीय कर्म के क्षयोपशम होने से व्यक्ति समता में लीन हो सकता है। मोहनीय कर्म की जघन्य स्थिति 70 करोडाकरोड़ वर्ष की स्थिति होती है जिसमें एक करोड़ाकरोड़ वर्ष बाकी रहता है तब व्यक्ति समता की साधना कर सकता है।छदमस्थ काल में 48 मिनट से ज्यादा शुभ योग नहीं होता इसीलिए सामायिक का कालमान 48 मिनट का ही होता है।तीर्थंकर भगवान महावीर के काल में पुनिया श्रावक की तथा तेरापंथ के प्रथम आचार्य भिक्षु के समय विजय सिंह पटवा की सामायिक का कथानाक विख्यात है। सुमेरमल बैद ने धर्म सभा को प्रेरणा देते हुए कहा कि हमें अपने धार्मिक संस्कारों को पुष्ट रखना चाहिए और सामायिक जैसे कर्म निर्जरा के साधन का अनुकरण करते हुए गुरु इंगित कम से कम महीने में चार शनिवार अवश्य ही करना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत उपासक द्वय ने अभिनव सामायिक के द्वारा करवाई ।जिसमें काययोग, जपयोग तथा ध्यान का प्रयोग करवाया गया।
पर्युषण पर्व की आराधना में सामायिक दिवस के अवसर पर आज नेहा दूधेड़िया ने तेले तप का बखान किया।पर्युषण के तीसरे दिन श्रावक श्राविकाओं की अच्छी संख्या में उपस्थिति देखी गई।
प्रयुषण महापर्व का तीसरा दिन मनाया गया सामायिक दिवस के रूप में
