सोमवार को होगी प्रथम दुर्गा माता शैलपुत्री की पूजा, आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र से जानिए पूरी कहानी

न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल

भारतीय संस्कृत वांग्मय में भगवती आद्या शक्ति की महिमा का सर्वत्र साम्राज्य है ।वेद स् वाहमृति पुराण आदि समस्त ग्रंथ एक स्वर में जगत जननी जगदंबा परंबा का गाण करते हैं। समस्त देवताओं ने देवी भगवती दुर्गा की अर्चना की और जिज्ञासा प्रकट की ,है भगवती !आप कौन हैं? महादेवी महामाया ने उत्तर दिया में परम ब्रह्म रुपिणी हूं ।

यह कहना है आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का ।उन्होंने कहा कि जगदंबा ने पुनः कहा कि प्रकृति पुरुषात्मक समस्त जगत मुझसे ही उत्पन्न होती है ।रुद्र बसु आदित्य तथा विस्वेदेवों के रूप में मैं ही विचरण करती हूं ।नवरात्रि के प्रथम दिन के पूजा उपासना आदि शक्ति दुर्गा का प्रथम रूपांतरण श्री शैलपुत्री हैं। पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण यह शैलपुत्री कहलाती है। इस दिन साधक को अपना चित् मूलाधार चक्र में स्थिर करके अपनी साधना प्रारंभ करनी चाहिए। इनके पूजन से मूलाधार चक्र जागृत होता है। मूलाधार चक्र जागृत होने से समस्त प्रकार की सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती है।