अररिया जिले की पहली महिला विधायक बनी थीं शांति देवी, लेकिन परिवार नहीं संभाल पाया सियासी विरासत

राहुल कुमार ठाकुर, अररिया
अररिया बिहार के पिछले जिलों में एक है।आज भी जिले की अधिकांश महिलाएं पर्दानशी हैं।नारी सशक्तिकरण के इस काल में भी सामान्यतया घरेलू महिलाओं को घरों के दहलीज को लांघने पर आज भी पाबंदी है।बावजूद इन सबके 68 साल पहले घर की एक महिला ने घर की दहलीज को लांघा और सियासत में अपनी सियासी पारी में ही पहली बार विधायक चुनी गई।जिला में पहली महिला विधायक बनने का श्रेय शांति देवी के नाम है।जिन्होंने 1957 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की टिकट पर जीत दर्ज की थी।वह पलासी विधानसभा से चुनाव जीती थी।उस समय पलासी विधानसभा क्षेत्र में अररिया के पलासी प्रखंड के साथ वर्तमान किशनगंज जिला का टेढ़ागाछ और दिघलबैंक शामिल था।हालांकि 1952 से 1972 तक पलासी विधानसभा रहा और 1972 चुनाव के बाद परिसीमन में 1977 पलासी विधानसभा क्षेत्र बदल गया और सिकटी विधानसभा क्षेत्र के रूप में नया विधानसभा क्षेत्र बना।जिसमें सिकटी प्रखंड के साथ पलासी और कुर्साकांटा प्रखंड के कुछ पंचायतों को शामिल किया गया।
कांग्रेस के टिकट से 1957 के चुनाव में लड़ी शांति देवी का चुनाव चिह्न कांग्रेस का चुनाव चिह्न जोड़ा बैल था।उस चुनाव में शांति देवी के समर्थकों के द्वारा लगाया गया नारा जोड़े बैलों की निशान,उसपे मुहर मार किसान।चुनाव का प्रचार पैदल,साइकिल या बैलगाड़ी पर भोंपू को टांगकर किया जाता था। लाउड स्पीकर के जगह भोंपू और हाट बाजार में डुगडुगी बजाकर भीड़ जमाकर नुक्कड़ सभा आयोजित की जाती थी।यह पूरा इलाका बाढ़ प्रभावित क्षेत्र था और आवागमन के लिए कच्ची सड़क ही सहारा था।
शांति देवी का मायके पलासी प्रखंड में ही बलुआ ड्योढी था और उनके पिता रामानंद ठाकुर जमींदार थे। उनकी शादी फारबिसगंज में स्वतंत्रता सेनानी तेज नारायण ठाकुर से हुई थी।तेज नारायण ठाकुर पेशे से ली अकादमी हाई स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक थे।शांति देवी की उम्मीदवारी के पीछे उनके पति तेज नारायण ठाकुर की अहम भूमिका मानी जाती है।कारण तेज नारायण ठाकुर 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में जिले में अहम भूमिका निभाई थी।1942 के आजादी की लड़ाई में छह माह तक जेल में रहे थे।उस समय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान काफी संख्या में सेनानियों को अंग्रेजों के द्वारा जेल के सलाखों के भीतर डाल दिया गया था।जेल में बंदी काल के दौरान अन्य बंदियों को पढ़ाने के कार्य में लगे रहे थे।उस समय जेल के अंग्रेज जेलर ने जेल में अध्ययन और अध्यापन को लेकर लिखित जानकारी अंग्रेज अधिकारियों को दिया था।जेल से निकलने के बाद आजादी की लड़ाई के दौरान नेपाल में भी काफी दिनों तक रहे और लगातार आन्दोलन का संचालन करते रहे।
1957 में जब पलासी विधानसभा से चुनाव लड़ने की बात हुई तो भोला पासवान शास्त्री,कमलदेव नारायण सिंह,दरोगा चौधरी,लक्ष्मी नारायण सुधांशु जैसे कांग्रेस के नेताओं ने शांति देवी को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित की। सहमति के बाद टिकट दिया गया और वह चुनावी अखाड़े में उतरी और जीत भी दर्ज की।शांति देवी छह बहन और दो भाई से थी और भाई बहन में सबसे बड़ी शांति देवी ही थी।चुनाव में जीत के बाद सबसे पहले उन्होंने जोकीहाट से फुलवरिया तक पहली बार पक्की सड़क का निर्माण करवाई।जिसे आज भी गांव के बूढ़े बुजुर्ग जिक्र करते हैं।
शांति देवी के दो पुत्र हैं।बड़े पुत्र जहां अपने कारोबार में हैं।वहीं छोटा लड़का विनय कुमार ठाकुर जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष,सचिव के साथ फारबिसगंज के बहुचर्चित पुलिस फायरिंग केस के ज्यूडिशियरी इंक्वायरी में अधिवक्ता नामित थे।वर्तमान समय में लीगल एंड डिफेंस काउंसिल चीफ के पद पर हैं।शांति देवी के बाद सियासी विरासत को उनके परिवार के किसी सदस्य ने नहीं संभाला।जबकि उनके पुत्र विनय कुमार ठाकुर 1974 के जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में लड़े गए छात्र आंदोलन में सक्रिय और जनसंघ से जुड़े रहे।
पहले आम चुनाव में जहां 1952 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के पलासी विधानसभा से पुण्यानंद झा चुने गए।1957 में इंडियन नेशनल कांग्रेस से ही शांति देवी चुनी गई।1962 में स्वतंत्र पार्टी से मो.अजीमुद्दीन और फिर 1967 और 1969 में निर्दलीय चुनाव जीतकर मो.अजीमुद्दीन ने हैट्रिक लगाई थी।लेकिन1972 में उनके जीत के सिलसिले को इंडियन नेशनल कांग्रेस के मायानन्द ठाकुर ने रोका।लेकिन 1977 में जब सिकटी विधानसभा अस्तित्व में आया तो मो.अजीमुद्दीन निर्वाचित हुए।1980 में कांग्रेस के शीतल प्रसाद गुप्ता,1985 में कांग्रेस के रामेश्वर यादव,1990 में जनता दल के टिकट से मो.अजीमुद्दीन,1995 में कांग्रेस के रामेश्वर यादव,2000 में भाजपा के आनंदी प्रसाद यादव,2005 में मुख्य चुनाव में निर्दलीय और इसी साल हुए उप चुनाव में जनता दल यूनाइटेड के टिकट से मुरलीधर मंडल चुनाव जीते।लेकिन 2010 में आनंदी प्रसाद यादव फिर भाजपा के टिकट से जीते और उसके बाद 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विजय कुमार मंडल सिकटी विधानसभा से निर्वाचित हुए।