गंगा का जल प्रलय: मौत, भूख और डर में डूबा भागलपुर

  • गंगा का रौद्र रूप बरकरार, डूबते सपनों का शहर बना भागलपुर
  • हर चार घंटे में बढ़ रहा है जलस्तर, जिले में 7 लाख से अधिक लोग संकट में
  • घड़ियाल का हमला, बच्चों की मौत, सड़कों पर उबाल – प्रशासन पस्त
  • सामुदायिक किचन और राहत शिविर पड रहे कम, भूख से बिलबिला रहे दुधमुंहे बच्चे, पशु

प्रदीप विद्रोही, भागलपुर

गंगा एक बार फिर अपने रौद्र रूप में है। डूबते सपनों का शहर बना चुका अब भागलपुर। हर चार घंटे में जलस्तर बढ़ रहा है। करीब 7 लाख से अधिक लोग संकट में हैं। शांत स्वभाव और जीवनदायिनी कहे जाने वाली यह नदी इस समय भयावह रूप में तबाही मचा रही है। पानी का कहर इस कदर बढ़ चुका है कि भागलपुर जिले के 7.25 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि हर संख्या के पीछे एक दर्द, एक टूटा हुआ घर, और अनगिनत आंसुओं की कहानी है। तिनका-तिनका जोड़कर जिसने भी घर बनाए आज वह बेघर हो चुके हैं। घर -द्वार खेत – पथार सब गंगा में समा चुकी है।

हर चार घंटे में दो सेंटीमीटर का उफान

गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। भागलपुर में रविवार शाम 6 बजे तक जलस्तर 34.64 मीटर तक पहुंच गया – 2021 के रिकॉर्ड 34.86 मीटर के बेहद करीब। कहलगांव में भी स्थिति भयावह होती जा रही है। एकचारी में तो गंगा अपने उच्चतम स्तर को पार कर चुकी है। यहां जलस्तर 33.40 मीटर मापा गया है, जबकि खतरे का निशान 33.36 मीटर है। गांव, बस्तियां, खेत—सब कुछ पानी में डूबता जा रहा है।

डूब गई मासूमियत, बुझ गई बुज़ुर्गी की लौ

पीरपैंती में डूबने से सात साल की आशियाना खातून और 60 वर्षीय राजेंद्र रविदास की मौत ने गांव को सन्न कर दिया। मासूम आशियाना की हंसी अब कभी नहीं गूंजेगी और राजेंद्र की बुजुर्ग आंखें अब कभी अपने पोते को गोद में नहीं ले पाएंगी। बाढ़ केवल घर नहीं बहा रही, यह जीवन भी लील रही है। गत शनिवार को भी चार लोगों की मौत बाढ़ के पानी में डूबने से हो चुकी है।

राहत शिविर की ओर बढ़ते लोगों पर घड़ियाल का हमला

नाथनगर के लालूचक और बुद्धचक इलाके में उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब राहत शिविर की ओर जा रहे लोगों पर अचानक एक घड़ियाल ने हमला कर दिया। सात लोग घायल हो गए। घबराए ग्रामीणों ने डंडों से बचाव किया और किसी तरह जान बचाई। यह दृश्य किसी दुःस्वप्न से कम नहीं था। जहां इंसान को राहत की दरकार है, वहां प्रकृति भी उसकी परीक्षा ले रही है।

सड़क पर उतर आया ग़ुस्सा

राहत सामग्री नहीं मिलने से सबौर के नवटोलिया और फतेहपुर के लोगों का ग़ुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने एनएच-80 को जाम कर दिया। कोई सुनवाई नहीं, कोई मदद नहीं – यही शिकायत थी। क्या ये लोग अपने ही देश में बेगाने हो गए हैं?

सुल्तानगंज और सुपौल में भी बिगड़े हालात

सुल्तानगंज प्रखंड की मिरहट्टी और खानपुर पंचायतों में 400 से अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। लोगों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाना अब प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। उधर, सुपौल में कोसी नदी ने भी विकराल रूप धारण कर लिया है। शनिवार रात 9 बजे कोसी का डिस्चार्ज 2,00,430 क्यूसेक मापा गया – यह इस साल का अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।

एक पुकार, एक उम्मीद

भागलपुर के हजारों परिवार इस समय खुली छत के नीचे, बच्चों को गोद में लिए, बूढ़ों को सहारा देते हुए, राहत की एक किरण का इंतजार कर रहे हैं। आंखों में थकान है, पर उम्मीदें अभी बाकी हैं। प्रशासन की कोशिशें जारी हैं, मगर ज़मीनी हकीकत इससे कहीं ज़्यादा भयानक है। अब वक्त है कि हम सब एकजुट हों, हाथ बढ़ाएं, और उन लोगों के लिए कुछ करें, जिनके पास इस वक्त कुछ नहीं बचा-न घर, न खाना, न आराम। सिर्फ डर, पानी और एक टुकड़ा उम्मीद।