9 अगस्त को होगा रक्षाबंधन, आयुष्मान योग में बहन भाई की कलाई पर बांधेगी राखी


न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल

भाई बहन के अद्भुत स्नेह और प्रेम बंधन का पर्व है राखी। इस दिन श्रावणी पूर्णिमा भी है। पूर्णिमा तिथि शनि दिन में 1 बजकर 33 मिनट तक है। आचार्य पंडित धर्मेन्द्र नाथ मिश्र ने बताया कि राखी बांधने में मुहूर्त का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए। शनि दिन प्रथम और खष्ठम अर्ध प्रहरा रहेगा।
इस वार रक्षा बंधन 9 अगस्त दिन शनिवार को होगा। इसी दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार धारण कर अपने भक्तो को उद्धार किये थे। इस दिन याज्ञबल्क ऋषि की जयंती भी मनायी जाएगी। इस वार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 7 बजकर 5 मिनट से लेकर दिन के 1 बजकर 30 मिनट तक है।

राखी बांधने का मंत्र

येन बद्धो बली राजा,
दानवेंद्रो महाबल:।
तेनत्वां प्रतिबधनामि ,
रक्छे मा चल मा चल।।
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए बहने अपने भाइयों को विधिवत टीका चंदन, आरती दिखाने के बाद दाहिने हाथ में राखी बांधे।

रक्षाबंधन का महत्व

महाभारत के अनुसार द्रौपदी भगवान श्री कृष्ण को भाई कहती थी। एक बार कृष्ण भगवान की उंगली कट गई। द्रौपदी ने अपनी साडी फाड़कर मधुसूदन की उंगली पर एक पट्टी बांध दी। चीर हरण होने पर श्री कृष्ण भगवान ने उसकी लाज रखी और जीवन भर उसकी सहायता की। भाई-बहन का हार्दिक व पवित्र प्रेम और भावना ही इस त्यौहार का आधार है।
देवलोक के रक्षाबंधन और उसकी देखा देखी धरती पर शुरू हुए रक्षाबंधन के चलन के बीच सबसे गंभीर परिवर्तन इस रूप में हुआ कि रक्षा से अभिमंत्रित धागों को देवलोक में पत्नी के द्वारा पति की कलाई पर बांधा जाता रहा है, जबकि धरती पर बहन द्वारा भाई की कलाई पर बांधे जाने लगा।

देवलोक में सर्वप्रथम रक्षा के धागों को पत्नी इंद्राणी द्वारा अपने पति इंद्र को बांधा गया था ।इसे ही पतिरक्षा सूत्र भी कहा जाता है। इस रक्षाबंधन के प्रभाव से हमारे समाज में भी बहुत सुधार हुआ है। कुछ ऐसे नियम प्रतिपादित हुए, जिसे समाज को बहुत लाभ हुआ और दुराचार से लोगों को राहत मिली।भारतीय संस्कृति में स्त्री को भोग दासी न समझ कर उसका पूजन करने की भी संस्कृति रही है।

कलयुग में हम सबों को रक्षाबंधन की आवश्यकता है । मंत्रों की शक्ति प्राप्त यह धागे ब्रह्मांड में व्याप्त दिव्य शक्ति के प्रति प्रेम व श्रद्धा का उद्घोष तो करते ही हैं साथ ही मुसीबत के समय ईश्वरीय सहायता को भी आकर्षित करते हैं। शायद इसी वजह से इस त्योहार को हर बुराई से बचाने वाला पर्व भी कहा जाता है।