प्रदीप विद्रोही, भागलपुर
बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेती दिखाई दे रही है। जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता और भागलपुर से लोकसभा सांसद अजय कुमार मंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संबोधित एक तीखे, लेकिन विनम्र लहजे में लिखे गए पत्र के माध्यम से सांसद पद से इस्तीफे की अनुमति मांगी है। इस पत्र ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
“आत्मसम्मान और संगठन की निष्ठा के लिए यह फैसला ले रहा हूं” – अजय मंडल
अजय मंडल ने अपने पत्र में जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व, खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपनी गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र समाप्त होता जा रहा है और स्थानीय नेतृत्व तथा समर्पित कार्यकर्ताओं की बिल्कुल भी सुनवाई नहीं हो रही है। “जब संगठन में समर्पित कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेतृत्व की राय का कोई महत्व नहीं रह गया है, तो मैं अपने आत्मसम्मान और पार्टी के भविष्य की चिंता करते हुए सांसद पद पर बने रहने का क्या औचित्य है,”– अजय मंडल ने पत्र में लिखा।
क्या है मामला? क्यों नाराज़ हुए अजय मंडल?
अजय मंडल का कहना है कि पार्टी द्वारा हाल में विधानसभा टिकट वितरण की प्रक्रिया में उनसे कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया, जबकि वे स्थानीय सांसद और लंबे समय से पार्टी के सक्रिय नेता हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि “पार्टी के लिए कभी काम न करने वाले लोगों को टिकट देने की चर्चा हो रही है,” जो जमीनी कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ रही है। उनका यह भी कहना है कि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने तक की इजाज़त नहीं दी जा रही, जो उन्हें बेहद अपमानजनक और चिंताजनक लगा।
पत्र की मुख्य बातें
20–25 वर्षों की सेवा के बावजूद संगठन में उनकी राय की उपेक्षा।
2019 में उनके नेतृत्व में जेडीयू ने विधानसभा उपचुनाव में बड़ी जीत दर्ज की थी।
वर्तमान में पार्टी नेतृत्व बाहरी और निष्क्रिय लोगों को प्राथमिकता दे रहा है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भी सीधा असर पड़ने की चेतावनी।
राजनीतिक विश्लेषण: एक चेतावनी या बगावत?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजय मंडल का यह पत्र न सिर्फ एक व्यक्तिगत असंतोष, बल्कि पार्टी में भीतर ही भीतर पल रहे असंतोष की मुखर अभिव्यक्ति है। उनकी भाषा भले ही सम्मानजनक हो, लेकिन भावनाओं में कटाक्ष, चेतावनी और विद्रोह की झलक साफ दिखाई देती है।
“यह चिट्ठी आने वाले दिनों में पार्टी के भीतर खलबली मचा सकती है। नीतीश कुमार की नेतृत्व शैली और टिकट वितरण की पारदर्शिता को लेकर सवाल अब खुलकर उठने लगे हैं।”
जेडीयू की चुप्पी, भाजपा की उत्सुकता
जहां जेडीयू ने इस पत्र पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, वहीं विपक्षी दलों — खासकर भाजपा — की नजरें इस घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार, अगर मंडल पार्टी से नाराज़ होकर अलग रास्ता चुनते हैं, तो उन्हें अपने खेमे में लाने की कोशिश की जा सकती है।
क्या आगे बढ़ेगा इस्तीफा?
पत्र में मंडल ने सीधे तौर पर “इस्तीफा दे रहे हैं” ऐसा नहीं लिखा है, बल्कि “इस्तीफा देने की अनुमति मांगी है” — जिससे यह संकेत मिलता है कि अंतिम फैसला नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा। यह एक राजनीतिक दांव भी हो सकता है — जहां पार्टी उन्हें मनाने की कोशिश करे या समझौता हो।
पृष्ठभूमि: कौन हैं अजय कुमार मंडल?
वर्तमान में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद।
जेडीयू के पुराने, निष्ठावान और ज़मीनी नेता माने जाते हैं।
पहले तीन टर्म विधायक रहे, फिर सांसद बने।
जेडीयू के संगठन, नवगछिया और भागलपुर ज़िले में मजबूत पकड़।
संसद की ट्रांसपोर्ट, टूरिज़्म और कल्चर कमिटी के सदस्य भी हैं।
यह चिट्ठी केवल एक सांसद की नाराजगी नहीं, बल्कि जेडीयू के अंदर गहराते अंतर्विरोध की झलक हो सकती है। यदि नेतृत्व ने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया, तो यह मामला पार्टी के लिए भविष्य में राजनीतिक नुक़सान और संगठनात्मक बिखराव का कारण बन सकता है।

