न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
परिधि द्वारा शहीद ए आज़म भगत सिंह की जयंती बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई गई। यह कार्यक्रम बड़ी जमीन, गोरडीह, कागजी टोला, कहलगांव और मक्खातकिया नवगछिया में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर उदय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगत सिंह चाहते थे कि देश समाजवादी राष्ट्र बने। समाजवादी राष्ट्र का अर्थ है कि देश की नीतियां और संसाधन समाज के हित में हों। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण आम लोगों का होना चाहिए। शिक्षा, रोजगार और मुनाफा समाज के सभी वर्गों का साझा अधिकार होना चाहिए। उदय ने यह भी चेताया कि यदि संविधान से समाजवाद शब्द को हटाया गया तो देश पूंजीवाद के प्रभाव में चले जाएगा, जिसका अर्थ होगा आम लोगों के हाथों से प्राकृतिक संसाधनों का छिन जाना और मुनाफे के लिए समाज का शोषण।
सार्थक भारत ने अपने वक्तव्य में कहा कि भगत सिंह ने कम उम्र में ही एक बेहतर और सुंदर भारत का सपना देखा था। वे केवल साम्राज्यवाद के खिलाफ नहीं थे, बल्कि धार्मिक उन्माद और धार्मिक विद्वेष के भी विरोधी थे।
विनय कुमार भारती ने अपने गीत “मेरा रंग दे बसंती चोला” के माध्यम से भगत सिंह को याद करते हुए कहा कि आज धार्मिक कट्टरता और उन्माद ने युवाओं के भविष्य को अंधकारमय बना दिया है। उन्होंने कहा कि समाज को खंडित करने और युवाओं को भ्रष्ट करने में नशाखोरी का भी महत्वपूर्ण हाथ है।
राहुल ने कहा कि समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को संविधान से हटाने की कोशिशें भगत सिंह का अपमान है। ललन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगत सिंह ने अपने जीवन में शहादत दी लेकिन कभी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। उन्होंने कहा कि भगत सिंह का संघर्ष केवल साम्राज्यवाद के खिलाफ नहीं था, बल्कि देश में मौजूद गैरबराबरी, छुआछूत और आर्थिक विषमता को खत्म करने के लिए भी था। भगत सिंह के लिए आज़ादी का अर्थ था—समता, न्याय और एकता।
शहीद ए आज़म भगत सिंह की जयंती पर परिधि ने किया कार्यक्रम
