न्यूज स्कैन ब्यूरो, अररिया
पर्युषण महापर्व का पांचवा दिन रविवार को अणुव्रत चेतन दिवस के रूप में में मनाया गया। तेरापंथ के अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी निर्देशानुसार पर्युषण महापर्व आराधना हेतु उपासक द्वय सुशील बाफना और सुमेरमल बैद फारबिसगंज में हैं।
उपासक सुशील बाफना और सुमेरमल बैद ने आह्वान किया कि धर्म का असली स्वरूप साधना ,उपासना नहीं है बल्कि नैतिकता का आचरण करना है। व्यक्ति के जीवन की सार्थकता तभी होती है जब वह नैतिकता के साथ अपना जीवन जीता है। जीवन में अध्यात्म के साथ में नैतिकता का होना बहुत जरूरी है। अणुव्रत मनुष्य के जीवन में नैतिक मूल्यों का उत्थान लाती है वही चारित्र की निर्मलता को भी बढ़ाती है। मनुष्य के जीवन में संयम की जागृति के लिए अणुव्रत अत्यंत आवश्यक है। अणुव्रत आंदोलन के सूत्रधार आचार्य श्री तुलसी ने मानव को सही अर्थ में मानव बनने के लिए 11 सूत्र दिए है। अंत में धर्म सभा को अणुव्रत स्वीकारने,अणुव्रती बनने और अणुव्रत साहित्य पढ़ने की अपील की।
अणुव्रत चेतना दिवस के कार्यक्रम की शुरुआत युवती मंडल की बहनों के द्वारा मंगलाचरण से की गई। तत्पश्चात ज्ञानशाला के बच्चों ने अणुव्रत चेतना दिवस पर आधारित एक मनमोहक प्रस्तुति दी तथा धर्म सभा को बारह व्रत स्वीकारने की अपील की।इस प्रस्तुति में ज्ञानशाला प्रभारी कुसुम भंसाली शिक्षिका बबीता डागा, ममता डागा ,सोनू पटावरी की मुख्य भूमिका रही। महासभा के संवाहक अनोप बोथरा और सभा अध्यक्ष महेंद्र बैद के द्वारा हर घर में हो भिक्षु साहित्य बैनर का अनावरण किया गया। जिसमें आचार्य भिक्षु पर आधारित छह पुस्तकें निम्नतर दर पर उपलब्ध करवाई जा रही है। जैन विद्या परीक्षा पर आधारित जानकारी दी गई जो कि आगामी 6 सितंबर और 7 सितंबर को ऑनलाइन और ऑफलाइन होने वाली है।
पर्युषण महापर्व का पांचवा दिन अणुव्रत चेतन दिवस के रूप में मना
