न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल /छातापुर
पर्युषण पर्व का अंतिम दिन माना जाता है संवत्सरी। जो जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व क्षमा याचना, आत्म निरीक्षण और आध्यात्मिक शुद्धि का पर्व है। यह कहना है जैनश्वैताम्बर तेरापंथ धर्म संघ के 11वें आचार्य महाश्रवण जी की शिष्या धर्म प्रचारक उपासिका संगीता बाई तातेड़ का। संगीता बाई के साथ पधारी उपासिका संजू बाई बूच्चा द्वय ने छातापुर प्रवास के दौरान आठ दिनों तक चलने वाले जैन धर्म संघ के सबसे महान् पर्व पर्युषण की महत्ता और धर्म संघ की प्रभावन को जैन अनुयायी तक पहूंचाया। उन्होंने बताया कि संवत्सरी के दिन जैन समुदाय के अनुयायी 24 घंटे की निराहार उपवास की तपस्या करते हैं।
इस क्रम में तपस्वी श्रावक समाज सामायिक, जाप, ध्यान और स्वाध्यय कर भगवान महावीर को दृढ़ संकल्पों का श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। संवत्सरी के दिन जैनधर्मावलम्बी एक दुसरे से सालभर में कहे गये या लिखे गये कटू वचनों के लिए क्षमा याचना करते हैं। उन्होंने बताया कि जैन घर्म को ऐतिहासिक रुप से लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व से देखा जाता है। 24 वें तिर्थंकर भगवान महावीर ने इसका प्रचार प्रसार किया था। जैन परंपरा अनुसार यह घर्म अनादि अंनत है। पर्युषण पर्व के क्रम में छातापुर निवासी जैनी नवरत्न वैद व माता अनिता वैद की 22 वर्षीय सुपुत्री जिया वैद ने अठ्ठाई की निराहार तपस्या कर न सिर्फ अपने परिवार की मान मर्यादा को बढ़ाया है बल्कि जिया ने छातापुर जैसे ग्रामीण क्षेत्र में भी धर्म संघ की प्रभावना को आगे बढ़ाया है।

गुरुवार की सुबह नौ बजे उपासिकाओं के सानिध्य में ताप तपस्या की मूर्ति जिया के अठ्ठाई का पारण कार्यक्रम सम्पन्न किया जायेगा। प्रवचन इस मौके पर हीरा लाल बाफना, प्रमोद बोथरा, प्रकाश वैद, ताराचंद बाफना, शंशाक बच्छावत, मांगी लाल बाफना, सुरेंद्र चोधरी, मनोज धोडावत, शंकुतला छाजेड़, लक्ष्मी वैद, अनिता वैद, तनुजा बोथरा, सीमा चौधरी, मीरा चौधरी और रौशनी बाफना आदि उपस्थित थीं।