राहुल कुमार ठाकुर, अररिया
नेपाल जेन जी के आंदोलन से तख्ता पलट के बाद भी राजनीतिक उथलपुथल से उबर नहीं पाया है।नेपाल में अब जेन जी के एक समूह के द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और गृह मंत्री रमेश लेखक की गिरफ्तारी का दबाव बनने लगा है।जेन जी आंदोलन के एक बड़े समूह सूदन गुरुंग के द्वारा आंदोलन के दौरान दमनात्मक कार्रवाई और फायरिंग के दौरान आंदोलनकारियों की मौत को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली,गृह मंत्री रमेश लेखक को गिरफ्तार करने का दबाव बनाया जा रहा है।प्रधानमंत्री निवास बालुवाटार में चारों सुरक्षा निकाय के प्रमुख के साथ सूदन गुरुंग की मीटिंग मंगलवार सुबह तक चली।बैठक में कानूनी प्रक्रिया,जांच आयोग के काम और राजनीतिक संवेदनशीलता के बारे में गम्भीर वार्ता की गई।हालांकि जेन जी के दूसरे समूह में इसको लेकर मतभेद भी सामने आ रही है।जेन जी के कई गुट जीवन पटरी पर लाने की स्थिरता की दुहाई देकर इसे तत्काल टालने के पक्ष में है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार,प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, गृह मंत्री ओमप्रकाश अर्याल ने देर रात प्रधान सेनापति अशोक राज सिग्देल, गृह सचिव रामेश्वर दंगाल, नेपाल पुलिस प्रमुख चन्द्रकुबेर खापुङ, सशस्त्र पुलिस बल प्रमुख राजु अर्याल, राष्ट्रिय अनुसंधान विभाग (गुप्तचर विभाग) प्रमुख टेकेन्द्र कार्की से उत्पन्न परिस्थिति के विषय में मंगलवार अहले सुबह तक विमर्श किया गया है।कानूनी तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की गिरफ्तारी की जा सकती है कि नहीं,इसको लेकर लंबी चर्चा की गई है।जानकारी के अनुसार,पूरी रात सुरक्षा प्रमुख की बैठक में कोई निचोड़ नहीं निकल सका है।काठमांडू के सभी पुलिस पोस्ट से पुलिस बलों को मुख्यालय बुलाया गया।

नेपाल के सोशल मीडिया पर तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली,गृह मंत्री रमेश लेखक सहित अन्य की गिरफ्तारी को लेकर जेन जी द्वारा अभियान चलाया जा रहा है।इतना ही नहीं कार्रवाई को लेकर सरकार को जेन जी की ओर से अल्टिमेटम भी दिया गया है।
पूर्व न्यायाधीश गौरी बहादुर कार्की नेतृत्व में बनी जांच आयोग के द्वारा जेन जी प्रदर्शन में राज्य पक्ष के तरफ से हुए बल प्रयोग के विषय में जांच चलने के दौरान सुरक्षा निकाय प्रमुखों द्वारा तत्काल गिरफ्तार नहीं करने का सुझाव दिए जाने की बात सामने आ रही है।जांच प्रतिवेदन आने से पूर्व सरकार गिरफ्तार करने का निर्णय लेती है तो आयोग का कार्य ओवरलैप होने का संदेश जाएगा। दूसरी तरफ मौन स्थिति में रहे राजनीतिक दल के द्वारा प्रतिवाद में आने की संभावना बढ़ने पर चर्चा की गई। हाल के स्थिति में नेपाल पुलिस के पास वाहन, वर्दी लूटे गए हथियार, गोली के कारण संसाधन की कमी है।जिसके कारण बड़े नुकसान को रोक पाने में असफलता पर भी चर्चा की गई।
दो दिन में नेपाल की सत्ता के तख्ता पलट के लिए हुए आंदोलन के बाद जेन जी दो गुट में नजर आ रहे है।जेन जी के एक पक्ष के द्वारा आंदोलन में दमन करने को लेकर तत्कालीन सरकार प्रमुख केपी शर्मा ओली, गृह मंत्री रमेश लेखक, गृहसचिव गोकर्णमणि दुवाडी, आंदोलन में रहे पुलिस अधिकारी को तत्काल कार्रवाई करने को लेकर अडिग है तो दूसरी तरफ दूसरे पक्ष के द्वारा जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेने की बात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री सरकारी निवास बालुवाटार में शनिवार हुए जेन जी के बैठक में आंदोलन में घायल के तरफ से जेन जी का प्रतिनिधित्व कर रहे अभिषेक श्रेष्ठ द्वारा काठमांडू के तत्कालीन प्रमुख जिला अधिकारी छविलाल रिजाल सहित आंदोलन दिशा निर्देश जारी करने वाले पुलिस अधिकारी, कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर मांगपत्र दिया गया था।

जिसमें केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले तत्कालीन सरकार के द्वारा किए गए नियुक्ति रद्द करने, विजिलेंस विभाग के वर्तमान प्रमुख प्रेम कुमार राई को त्याग पत्र देने,राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त नए प्रमुख आयुक्त नियुक्त करने की मांग का उल्लेख है । वही सूदन गुरुङ के समूह के द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री,गृह मंत्री सहित अन्य की गिरफ्तारी सात दिन के अंदर नहीं होने पर धरने पर बैठने का अल्टीमेटम सरकार को दिया गया है। जिसके बाद संभावित खतरे को देखते हुए नेपाल पुलिस के द्वारा पुलिस विभाग को अलर्ट कर दिया गया है।