नवरात्रि सप्तमी पर होगी मां कालरात्रि की पूजा, जानें आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र से महत्व

न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल

कल होगी श्री कालरात्रि की पूजा।आदिशक्ति श्री दुर्गा का सप्तम स्वरूप श्री कालरात्रि का है। यह काल का नाश करने वाली हैं, इसीलिए इनका नाम कालरात्रि पड़ा ।नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा आराधना की जाती है । यह कहना है पंडित आचार्य धर्मेंद्र नाथ मिश्र का।

उन्होंने सप्तम दिवस की पूजा के शुभ अवसर पर माता कालरात्रि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, इस दिन साधक को अपना चित् भानु चक्र अर्थात ललाट के मध्य स्थान में स्थिर कर साधना करनी चाहिए। इनका शरीर घने अंधकार की तरह एकदम काला है। बाल बिखरे हुए हैं ।उनके तीन नेत्र हैं जिनसे विद्युत के समान चमकीली किरण निकलती रहती है। इनका वाहन गर्दभ (गधा) है। इनका स्वरूप देखने में तो बहुत भयानक है, लेकिन यह सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं ।इसी कारण इनका एक नाम शुभंकरी भी है ।अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत, आतंकित नहीं होनी चाहिए ।श्री कालरात्रि शत्रुओं को विनाश करने वाली हैं ।दैत्य, दानव, राक्षस, भूत ,प्रेत आदि इनके स्मरणमात्र से ही आतंकित होकर भाग जाते हैं ।साथ ही यह ग्रह बधाओ को भी दूर करने वाली हैं ।आचार्य धर्मेंद्र नाथ ने कहा कि उनके उपासक को अग्निभय, आकाशभय, वायुभय, जलभय जंतुभय शत्रुभय, रात्रिभय , यात्राभय ,आदि नहीं होते हैं।