राष्ट्रीय कार्यशाला के चौथे दिन सुपौल इंजीनियरिंग कॉलेज में गैस सेंसिंग, सोलर एनर्जी और नैनो स्केल्ड इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज पर गहन चर्चा

न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल

सुपौल इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला “इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ एवं सर्किट्स में उभरते अनुप्रयोग” का चौथा दिन शोध और नवाचार की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहा। देश के ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की चुनौतियों और संभावनाओं से अवगत कराया। इस कार्यशाला का आयोजन बिहार काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से किया जा रहा है।
शुरुआत डॉ. चन्दन कुमार (सहायक प्राध्यापक (ईसीई) एवं डीन अकादमिक्स, SCE सुपौल) के व्याख्यान से हुई। उन्होंने “इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज फॉर गैस सेंसिंग एप्लिकेशंस” विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि गैस सेंसर आधारित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आज उद्योग, चिकित्सा और पर्यावरण निगरानी में कितने अहम हो गए हैं। इन उपकरणों के माध्यम से न केवल खतरनाक गैसों का तुरंत पता लगाया जा सकता है बल्कि प्रदूषण नियंत्रण और औद्योगिक सुरक्षा को भी मजबूत बनाया जा सकता है। विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे और इस क्षेत्र के नवीनतम शोध की जानकारी प्राप्त की।
दूसरे सत्र में डॉ. दीपक कुमार जारवाल (PDEU गांधीनगर) ने “पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा भविष्य की सबसे बड़ी जरूरत है और पेरोव्स्काइट तकनीक उच्च दक्षता और कम लागत वाली ऊर्जा उत्पादन प्रणाली प्रदान कर सकती है। यह तकनीक पारंपरिक सिलिकॉन आधारित सोलर सेल्स की तुलना में अधिक लचीलापन और बेहतर प्रदर्शन देती है। उन्होंने भारत में चल रहे शोध कार्यों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भी प्रकाश डाला।
इसके बाद तीसरे सत्र में श्री नवीन कुमार (सहायक प्राध्यापक, ईसीई, एससीई सुपौल) ने “इलेक्ट्रॉनिक सर्किट सिमुलेशन यूजिंग प्रोटियस सॉफ्टवेर” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने विद्यार्थियों को आधुनिक सिमुलेशन टूल्स से परिचित कराया और समझाया कि शोध कार्यों में इनका प्रयोग कैसे वास्तविक डिज़ाइन को सरल और अधिक प्रभावी बनाता है। यह सत्र विशेष रूप से छात्रों के लिए व्यावहारिक दृष्टि से उपयोगी रहा।
अंतिम सत्र डॉ. प्रमोद कुमार तिवारी (IIT पटना) का रहा। उन्होंने “इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज फंडामेंटल्स एवं नैनोस्केल टेक्नोलॉजी” पर विस्तारपूर्वक व्याख्यान दिया। उन्होंने सेमीकंडक्टर डिवाइसों की बुनियादी अवधारणाओं से लेकर नैनो स्तर पर विकसित हो रही नवीन तकनीकों तक की यात्रा को सरल ढंग से समझाया। उन्होंने कहा कि नैनो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य, ऊर्जा और संचार प्रणालियों में क्रांति ला सकती है।
दिनभर चले इन व्याख्यानों के बाद प्राचार्य डॉ. अच्युतानंद मिश्रा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से छात्रों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों से सीधे जुड़ने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि “हमारा प्रयास है कि सुपौल इंजीनियरिंग कॉलेज केवल शिक्षा का केंद्र ही नहीं, बल्कि शोध और नवाचार का हब बने। आज के सत्रों ने साबित कर दिया है कि बिहार के युवा वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में अपनी मजबूत पहचान बनाने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।”

प्रतिभागियों ने चौथे दिन के सत्रों को अत्यंत प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर छात्रों को न केवल पुस्तकीय ज्ञान से आगे बढ़ाकर व्यावहारिक अनुभव दिलाते हैं, बल्कि उन्हें शोध और नवाचार की दिशा में नई प्रेरणा भी देते हैं।