न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल
सुपौल इंजीनियरिंग कॉलेज में चल रही सप्ताहीय राष्ट्रीय कार्यशाला “इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ एवं सर्किट्स में उभरते अनुप्रयोग” के दूसरे दिन का कार्यक्रम अत्यंत ज्ञानवर्धक और उत्साहजनक रहा। यह कार्यशाला बिहार काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से आयोजित की जा रही है।
दिन की शुरुआत डॉ. युवनेश का. (MNNIT प्रयागराज) के व्याख्यान से हुई, जिन्होंने “बायोसेंसिंग डिवाइस” पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आधुनिक बायोसेंसर स्वास्थ्य सेवाओं में रोगों की त्वरित पहचान और उपचार को सरल बना रहे हैं।
इसके बाद डाॅ. संदीप कुमार (MNNIT प्रयागराज) ने “रेसिस्टिव रैम (RRAM): मटेरियल्स, मेथड्स, एप्लिकेशन्स और चुनौतियाँ” पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में RRAM उच्च गति, कम शक्ति खपत और बड़ी क्षमता वाले मेमोरी डिवाइस का आधार बनेगा।
दिन के तीसरे सत्र में डॉ. चन्दन कुमार (डीन अकादमिक्स, SCE सुपौल) ने “थिन फिल्म आधारित ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक डिवाइस” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने समझाया कि पतली परत तकनीक (Thin Film Technology) के आधार पर बने डिवाइस कैसे सौर ऊर्जा, सेंसर और संचार प्रणालियों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं।
इसके बाद श्री शादाब आज़म सिद्दीक़ी (SCE सुपौल) ने “स्पीच प्रोसेसिंग विद मशीन लर्निंग” विषय पर प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि किस तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीक भाषाई पहचान, वॉयस कमांड और हेल्थकेयर एप्लिकेशन में क्रांति ला रही हैं।
इसके अतिरिक्त डॉ. अमित कुमार (NIT जमशेदपुर) ने “ऑर्गेनिक सोलर सेल्स” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने समझाया कि यह तकनीक सस्ती, हल्की और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा का बड़ा स्रोत बन सकती है।
आज का अंतिम सत्र डॉ. सुधीर भास्कर (सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान) का रहा। उन्होंने “एंटीना फंडामेंटल्स एंड एंटीना डेवलपमेंट्स” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि 5G और आने वाले 6G युग में उन्नत एंटीना डिज़ाइन की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होगी।
दूसरे दिन के समापन अवसर पर प्राचार्य डॉ. अच्युतानंद मिश्रा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को केवल सिद्धांत तक सीमित न रखकर, उन्हें व्यावहारिक और शोधोन्मुख शिक्षा की ओर अग्रसर करना है। उन्होंने वक्ताओं का आभार जताते हुए छात्रों से सक्रिय भागीदारी का आग्रह किया।
प्रतिभागियों ने पूरे दिन के सत्रों में सक्रिय भागीदारी की और विभिन्न प्रश्न पूछे। वक्ताओं ने छात्रों को अनुसंधान और नवाचार की दिशा में प्रेरित किया।