न्यूज स्कैन ब्यूरो, भागलपुर
खानकाह पीर दमड़िया शाह के सजादा नशीन मौलाना सय्यद शाह फखरे आलम हसन ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान को “सकारात्मक और सराहनीय” करार दिया है।
मौलाना ने कहा कि मोहन भागवत ने भारत की उस आत्मा को सामने रखा है, जहाँ विभिन्न जाति–धर्म और समाज के लोग सदियों से साथ रहते आए हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम झगड़े और संप्रदायवाद से दूर रहें तो देश की अखंडता और प्रगति बनी रह सकती है।
“राम मंदिर आंदोलन में साथ था, मथुरा–काशी में नहीं होगा”
मोहन भागवत के इस बयान पर कि “राम मंदिर आंदोलन में संघ का साथ था, लेकिन मथुरा और काशी को लेकर आंदोलन हुआ तो संघ शामिल नहीं होगा”, मौलाना ने कहा – यह बयान शांति और भाईचारे की दिशा में सराहनीय कदम है।
“भारत में मुसलमान हमेशा से थे, हैं और रहेंगे”
भागवत के इस कथन का भी मौलाना ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 30 करोड़ मुसलमान रहते हैं, जो दुनिया के कई मुस्लिम देशों से भी ज्यादा है। यह अपने आप में गर्व की बात है।
“हिंदू राष्ट्र से आपत्ति नहीं, पर मुसलमानों को पूरे अधिकार मिलें”
मौलाना ने कहा कि प्रधानमंत्री से लेकर अन्य महत्वपूर्ण पदों तक पर हिंदू धर्म मानने वाले लोग हैं। इस दृष्टिकोण से अगर भागवत हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं तो मुसलमानों को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन साथ ही सरकार की जिम्मेदारी है कि मुसलमानों को संविधान के तहत पूर्ण अधिकार मिलें और उन्हें कभी दूसरे दर्जे का नागरिक महसूस न हो।
मोब लिंचिंग और बुलडोज़र कल्चर रोकने की अपील
मौलाना ने कहा कि देश में जो “मोब लिंचिंग और बुलडोज़र कल्चर” बढ़ा है, वह नफरत की पहचान बन चुका है और इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि प्रभावित हुई है। इस प्रवृत्ति को रोकने में मोहन भागवत को बड़ी भूमिका निभानी होगी।
“इंशा अल्लाह, माहौल बेहतर होगा”
अंत में मौलाना ने विश्वास जताया कि अगर मोहन भागवत अपने बयानों पर कायम रहते हैं तो भारत का माहौल बेहतर होगा और सभी धर्मों के लोग सम्मान और भाईचारे के साथ देश की प्रगति में योगदान देंगे।