- इविल + स्मैक = बर्बादी: किशनगंज में नशे की महामारी
दीपक कुमार साहा। किशनगंज
किशनगंज का बस स्टैंड, जहां कभी यात्रियों की चहल-पहल दिखती थी, आज नशे के काले कारोबार का गढ़ बन चुका है। यहां अब धुएं की नहीं, बल्कि सिरिंज के ज़रिए नसों में उतर रहे ज़हर की गंध है। किशनगंज जिले में युवाओं के बीच इंजेक्शन के माध्यम से नशीली दवाओं का सेवन एक खतरनाक चलन बनता जा रहा है, जो न केवल उनके जीवन बल्कि पूरे समाज को गर्त में धकेल रहा है। इसका खुलासा न्यूज़ स्कैन के रिपोर्टर की स्टिंग से हुआ। इस दौरान कई डरने वाले सच सामने आये, जो समाज की युवा पीढ़ी के लिए खतरनाक हो सकते हैं। अगर पुलिस, प्रशासन और समाज के लोग एक साथ इसके लिए आगे नहीं आएंगे तो आने वाले समय में इसका परिणाम घातक हो सकता है। भले यह मामला किशनगंज है, लेकिन इस नशे का जाल पूरे बिहार में फैला है। नशे के इस पुरे खेल की कहानी, पढ़िए खास रिपोर्ट में।
‘इविल’ और ‘स्मैक’ का ज़हरीला मेल
जानकारों के अनुसार, युवा ‘इविल’ नामक इंजेक्शन में स्मैक मिलाकर उसे गर्म करते हैं और फिर नसों में इंजेक्ट करते हैं। यह प्रक्रिया इतनी घातक है कि कुछ ही महीनों में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। मानसिक संतुलन बिगड़ता है, स्नायु तंत्र प्रभावित होता है, और अंततः दिल, किडनी, लीवर तक फेल होने की नौबत आ जाती है।
बस स्टैंड इलाका बना नशे का हब
किशनगंज का बस स्टैंड और ओवर ब्रिज के आस-पास का इलाका इस गतिविधि का मुख्य केंद्र बन चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शाम होते ही यहां युवक सिरिंज और इंजेक्शन लेकर मंडराने लगते हैं। सड़क किनारे गंदगी के ढेर के बीच पड़े खाली इंजेक्शन, समाज के उस कोने की तस्वीर दिखाते हैं जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।
अपराध और असुरक्षा का साया
स्थानीय नागरिक राहुल कुमार ने बताया, “यह केवल नशे की बात नहीं है। यह पूरा तंत्र अपराध, असुरक्षा और समाजिक विघटन की ओर बढ़ रहा है।” किशनगंज में ‘उड़ता पंजाब’ जैसी हकीकत देखने को मिल रही है, जहां युवा पीढ़ी धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ रही है।
प्रशासन की कार्रवाई नाकाफी
पुलिस और नारकोटिक्स विभाग ने इस पर लगाम लगाने के लिए कई बार अभियान चलाए, लेकिन नतीजे सीमित रहे। कुछ गिरफ्तारियां ज़रूर हुईं, पर नशे का नेटवर्क अब भी जड़ें जमाए हुए है। प्रशासनिक कोशिशें नशे के विस्तार के आगे बौनी पड़ रही हैं।
डॉक्टरों की चेतावनी: नसों से सीधे मौत तक
सदर अस्पताल किशनगंज के डॉक्टर गौरव कुमार ने बताया, “नशा हर रूप में जानलेवा है, लेकिन इंजेक्शन के ज़रिए शरीर में ड्रग्स पहुंचाना सबसे खतरनाक तरीका है। यह सीधा स्नायु तंत्र, दिल, फेफड़े और लीवर को प्रभावित करता है। युवा न केवल अपना भविष्य बल्कि जीवन भी दांव पर लगा रहे हैं।” जानकार कहते हैं कि किशनगंज एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है। यहां का युवा भविष्य इंजेक्शन की सुई पर टिका हुआ है — ज़रा सी चूक और एक पूरी पीढ़ी खत्म हो सकती है। यह समय है जब प्रशासन, समाज और परिवार — सभी को एकजुट होकर इस ख़तरनाक लत के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी।