
- खतरों से खेलकर गंगा पार कर रहे लोग, स्टीमर की जगह चल रही है नाव, संचालकों की मनामानी से हो रही ओवरलोडिंग, हादसे की आशंका बढ़ी
खगड़िया/परबत्ता। प्रखंड के दक्षिणी छोर पर स्थित अगुवानी घाट से सुलतानगंज घाट के बीच चलने वाले नाव सेवा पर रविवार से ही दवाब बढ गया है। सावन में विभिन्न शिवालयों में जल चढाने के लिए आतुर भगवान् भोलेनाथ के भक्तों की बढ़ती संख्या की वजह से ऐसी स्थिति बन गयी है। लेकिन घाट के संचालकों द्वारा इस बढी हुई भीड़ से बेहतर तरीके से निबटने के लिये कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की गयी है। इस वजह से इस घाट से गंगा पार करने वालों में अफरा-तफरी मचती रहती है। हालत यह है कि खतरों के बीच लोग गंगा पार कर रहे हैं। स्टीमर की जगह नाव चलायी जा रही है। ऐसी स्थिति में ओवरलोडिंग से हादसे की आशंका बढ़ गयी है।
घाट पर रहता है अव्यवस्था का आलम
अगुवानी घाट पर पूरे वर्ष अव्यवस्था का आलम बना रहता है। दोनों तरफ यात्रियों के लिये सालभर मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहता है। इस घाट पर यात्रियों के लिये जहाज सेवा के परिचालन के लिये डाक कराया जाता है। किन्तु नदी में जल की गहराई कम होने तथा अन्य कारणों से पूरे वर्ष इस घाट पर जहाज की बजाय नाव का परिचालन किया जाता है। इन नावों पर चढने और उतरने के क्रम में यात्रियों को भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
नाव पर ओवरलोडिंग से रहता है खतरा
इस घाट से खुलने वाले नावों पर ओवरलोडिंग होने से यात्रियों की सुरक्षा पर हमेशा खतरा बना रहता है। प्रशासन तथा पुलिस की सतत निगरानी नहीं होने से यह समस्या अक्सर बनी रहती है। इस बारे में सरकार द्वारा नियम – कानून बनाया गया है। किन्तु इस कानून के पालन के लिये प्रतिबद्धता का अभाव दिखता है।
क्या है ओवरलोडिंग के बारे में कानून
बिहार सरकार के द्वारा नावों पर ओवरलोडिंग के विरुद्ध बनाये गये कानून के अनुसार सभी नावों पर ढुलाई क्षमता लिखित होना चाहिए। नाव में जमा होने वाले पानी की निकासी का प्रबंध हो,नाव पर जीवन रक्षक छल्ले उपलब्ध हो, यात्रियों को बैठाने की क्षमता दर्ज हो, यंत्रचालित नाव का परिचालन मानक के अनुरुप हो। इसके अलावा नाव पर तीन नाविक, निबंधन संख्या, गहराई मापने का चिन्ह आदि होना जरुरी है।
क्या है घाट की स्थिति
अगुवानी घाट की स्थिति यह है कि नाव परिचालन के लिये जिम्मेदार सभी स्तर के कर्मी सुलतानगंज की तरफ रहते हैं। टिकट काटने से लेकर टिकट वसूली तक अप्रशिक्षित कर्मी के रहने के कारण अक्सर यात्रियों को भी असहज व अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ता है। इस कारण से स्थानीय लोग भी विक्रमशिला सेतु होकर घूमकर जाना पसंद करते हैं।
होती रही है छोटी दुर्घटनाएँ
वैसे तो अगुवानी सुलतानगंज घाट के बीच गंगा नदी के उपर नाव परिचालन में अब तक कोई बड़ी घटना नहीं हुई है। लेकिन छोटी दुर्घटनाएँ अक्सर होती रहती है। ऐसी ही एक घटना तब पेश आयी थी जब 01 सितंबर 2014 को शाम में अंतिम खेप के लिये शाम 5 बजे सुलतानगंज जाने के लिये खुली नाव का बीच गंगा में पहुँचने के बाद इंजन बंद हो गया। इस घटना की सूचना मिलते ही प्रशासनिक महकमा में अफरा तफरी मच गयी थी। बाद में देर रात बारी बारी से यात्रियों को सुरक्षित उतारा गया।
यात्रियों की पीड़ा
अगुवानी घाट की व्यवस्था के संबंध में पूछने पर घाट पर उपस्थित यात्रियों का कहना है कि गंगा नदी के उस पार जाने के लिये और कोई सुलभ रास्ता भी तो नहीं है। सलारपुर निवासी जिप सदस्य जयप्रकाश यादव ने बताया कि घाट पर इसके ठेकेदारों की ही चलती है। प्रशासन के अधिकारी घाट की बंदोबस्ती के बाद इसे भूल जाते हैं। यात्रियों ने बताया कि हम खतरों से खेलने को मजबूर हैं। तेमथा निवासी आदर्श कुमार ने बताया कि हम खतरनाक नाव की यात्रा करने को विवश हैं। मुरादपुर निवासी अमित कुमार बताते हैं कि लोग अपनी मजबूरी में खतरों से खेलने को विवश हैं।