कटिहार।
सावन की पहली सोमवारी को आजमनगर प्रखंड स्थित बाबा गोरखनाथ धाम में आस्था का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। हजारों श्रद्धालु दूर-दराज से बाबा के दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचे। सुबह से ही मंदिर परिसर में लंबी कतारें लग गईं और भक्त अनुशासन में कतारबद्ध होकर बाबा पर जल चढ़ाकर मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते रहे। यह ऐतिहासिक मंदिर ‘मिनी बाबाधाम’ के नाम से प्रसिद्ध है। इसकी बनावट और माहौल इसकी प्राचीनता और आध्यात्मिक गरिमा को दर्शाती है। सालभर यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है, लेकिन सावन में यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। यहां मनिहारी गंगा से कांवड़ में जल लाकर बाबा को अर्पित किया जाता है, जो सुल्तानगंज से देवघर तक की यात्रा की परंपरा से मेल खाता है। मंदिर के पास स्थित पोखर और चारों ओर फैली हरियाली श्रद्धालुओं को शांति और सुकून का अहसास कराती है। पहली सोमवारी पर मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से पूरा माहौल भक्तिमय बना रहा।

प्रशासन और समिति की रही चौकस व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन और मंदिर समिति ने सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम किए। एसडीआरएफ की टीम मौके पर तैनात रही, मेडिकल टीम द्वारा प्राथमिक चिकित्सा केंद्र संचालित किया गया। जलपान, पेयजल, शौचालय और पंडाल की पर्याप्त व्यवस्था थी। पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की गई। मंदिर समिति के सचिव पिंटू यादव ने बताया कि पहली सोमवारी को लेकर विशेष तैयारी पहले से की गई थी। उपाध्यक्ष अक्षय सिंह ने कहा कि श्रावण माह की हर सोमवारी को हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, इसलिए इस बार विशेष शिविर, जल छिड़काव, पंडाल, स्वास्थ्य सेवा जैसी व्यवस्थाएं और बेहतर की गई हैं।

पंडित का कथन: श्रावण मास शिव आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ
पंडित बापी बनर्जी ने बताया कि श्रावण भगवान शिव की उपासना का सर्वाधिक पुण्यदायी समय है। इस दौरान रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, शिव चालीसा पाठ तथा व्रत-पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि तंत्र-मंत्र की साधनाओं के लिए भी यह माह अत्यंत फलदायी होता है। मंदिर समिति के अनुसार अगली सोमवारी के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि बाबा गोरखनाथ की कृपा से हर मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि यह स्थान धीरे-धीरे कटिहार का एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बनता जा रहा है।