- पूजन सामग्री से सजे बाजार – पंडित गगन ठाकुर ने बताया पूजन विधि का महत्व
न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल
सुहागिन महिलाओं का सबसे प्रमुख और पवित्र व्रत करवा चौथ इस वर्ष 10अक्टूबर (गुरुवार) को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। करवा चौथ को लेकर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बाजारों में सुहागिनों की भीड़ उमड़ रही है। चूड़ियां, साड़ियों, बिंदी, सिंदूर, करवा, छलनी और पूजा सामग्री की दुकानों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
शहर के प्रमुख बाजारों में महिलाओं ने करवा चौथ के लिए ज़रूरी सामान की ख़रीदारी शुरू कर दी है। पारंपरिक परिधानों से लेकर आधुनिक साज-सज्जा की वस्तुएं तक दुकानों में उपलब्ध हैं। मिठाई की दुकानों में भी भीड़ देखी जा रही है, वहीं मेहंदी कलाकारों के पास अपॉइंटमेंट बुक कराने वालों की लंबी कतारें लगी हुई हैं।

पंडित गगन ठाकुर ने बताया करवा चौथ व्रत का महत्व
स्थानीय पंडित गगन ठाकुर ने बताया कि करवा चौथ न केवल सुहागिनों के लिए बल्कि पारिवारिक सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन की लंबी आयु के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से चंद्र दर्शन तक निर्जला व्रत रखती हैं और संध्या काल में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति की दीर्घायु और मंगलकामना करती हैं।
उन्होंने बताया कि शाम को करवा चौथ की कथा सुनना और पूजा करना अनिवार्य होता है। महिलाएं करवा में जल भरकर गणेश जी, गौरी माता और चंद्रमा की पूजा करती हैं। छलनी के माध्यम से पति को देखना और फिर उनसे जल ग्रहण कर व्रत तोड़ना शुभ फलदायी माना गया है।
प्रकृति प्रेम और आस्था का प्रतीक पर्व
पंडित गगन ठाकुर ने कहा कि करवा चौथ केवल पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण का पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति और ब्रह्मांड की शक्तियों के प्रति आभार प्रकट करने का भी दिन है। इस व्रत में जल, चंद्रमा, पृथ्वी और अग्नि जैसे प्राकृतिक तत्वों की पूजा होती है, जो जीवन के आधार हैं।
पूजन समाग्री से सजा बाजार
बाजार में रौनक और उत्साह देखते ही बन रहा है। सुहागिनों के चेहरों पर उल्लास और उमंग झलक रही है। करवा चौथ का यह पवित्र पर्व न केवल वैवाहिक जीवन में नई ऊर्जा और प्रेम लाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा और स्त्री शक्ति के सम्मान को भी दर्शाता है।