कैमूर: मोकरी के गोबिंद भोग चावल से अयोध्या के रामलला को लगता है भोग, किसान संकट में


न्यूज़ स्कैन ब्यूरो, कैमूर
कैमूर जिले के मोकरी गांव का गोबिंद भोग चावल पूरे देश में अपनी खुशबू और हल्केपन के लिए प्रसिद्ध है। इसी चावल से हर साल अयोध्या में श्रीरामलला को भोग लगाया जाता है। लेकिन आज यह परंपरा संकट में है क्योंकि किसान इस खास चावल की खेती से दूरी बनाने लगे हैं।
उर्वरक और लागत की समस्या
मोकरी के किसानों का कहना है कि गोबिंद भोग चावल के खेतों में केवल एक ही फसल उपजती है और उत्पादन भी कम होता है। लागत अधिक आने के बावजूद बाज़ार में उचित मूल्य नहीं मिलता। किसानों का आरोप है कि चावल तैयार होने पर दाम मात्र 40 रुपये किलो मिलता है, जबकि बिचौलिये वही चावल गोदाम में रखकर 150 रुपये किलो तक बेचते हैं।
यूरिया खाद की किल्लत ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। जब उर्वरक की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब यह ऊँचे दाम पर या उपलब्ध ही नहीं होता।


घटती खेती
कभी जहां 100 हेक्टेयर भूमि पर गोबिंद भोग चावल की खेती होती थी, आज घटकर केवल 25 हेक्टेयर रह गई है। किसान कहते हैं कि यदि सरकार सहयोग देती तो इस परंपरागत और सांस्कृतिक धरोहर को बचाया जा सकता था।
खासियत और परंपरा
गोबिंद भोग चावल की खासियत है कि पकने पर इसकी खुशबू दूर तक फैलती है। माता मुंडेश्वरी मंदिर के पावरा पहाड़ी से बहकर आने वाले जड़ी-बूटी युक्त पानी से सिंचित खेतों में यह चावल विशेष स्वाद और सुगंध वाला बनता है।


कुणाल किशोर ने इस परंपरा की शुरुआत की थी कि अयोध्या के श्रीरामलला को मोकरी के गोबिंद भोग चावल से भोग लगाया जाए। यह परंपरा वर्षों से जारी है, लेकिन खेती में लगातार गिरावट ने इसके भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।