न्यूज स्कैन ब्यूरो, कैमूर
कैमूर पहाड़ी पर जिला परिषद की ओर से 13 लाख रुपये की लागत से बना चेक डैम पहली ही बरसात में ढह गया।
यह योजना 15वें वित्त आयोग से स्वीकृत हुई थी। लेकिन काम की गुणवत्ता इतनी खराब रही कि चेक डैम को बने एक साल भी पूरा नहीं हुआ और बारिश की पहली तेज धार ने ही इसे बहा दिया।
चैनपुर प्रखंड के पहाड़ी क्षेत्र करकटगढ़ में किसान महेंद्र यादव के खेत के ऊपर यह चेक डैम बनाया गया था। उद्देश्य था कि बरसात के पानी को रोककर किसानों को सिंचाई की सुविधा दी जाए। लेकिन ठेकेदार और जिला परिषद की लापरवाही से लाखों की सरकारी राशि बर्बाद हो गई।
इस लापरवाही पर जब सवाल उठे तो जिला परिषद के कार्यपालक अभियंता ने बेहद गैरजिम्मेदार बयान दिया। उन्होंने कहा – “यह बड़ी बात नहीं है, देश के कई राज्यों हिमाचल, जम्मू-कश्मीर में भी बाढ़ आती है, यहाँ आ गई तो क्या हुआ!” यानी, काम की गुणवत्ता की पोल खुलने के बाद भी अफसरों को कोई शर्म नहीं है। फिलहाल अभियंता ने बस इतना कहा कि एक सप्ताह के भीतर जांच कर आगे कार्रवाई की जाएगी।
चैनपुर से जिला परिषद सदस्य बल्लू राम मस्तान ने कहा कि लगातार बारिश होने से डैम का दोनों तरफ की बाहरी दीवार बह गयी है। उन्होंने साफ कहा कि “इसमें हम क्या कर सकते हैं, काम तो इंजीनियर की देखरेख में हुआ था।”
बड़ा सवाल
आखिर 13 लाख रुपये का बना चेक डैम पहली बरसात में क्यों बह गया?
क्या काम में घटिया मटेरियल का इस्तेमाल हुआ?
जिम्मेदार अफसर और ठेकेदार पर कब गिरेगी गाज?
बिहार सरकार विकास के नाम पर करोड़ों खर्च कर रही है। लेकिन हकीकत यह है कि जिला परिषद की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने विकास को मज़ाक बना दिया है। कैमूर का यह टूटा हुआ चेक डैम सिर्फ एक उदाहरण है, सवाल पूरे सिस्टम पर है।