न्यूज स्कैन ब्यूरो, पटना
जदयू सांसद गिरधारी यादव के एक बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। पार्टी लाइन से इतर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने को लेकर जदयू ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। पार्टी ने उनसे 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए।
सूत्रों के अनुसार, सांसद गिरधारी यादव ने हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देश (SIR) को “तुगलकी फरमान” करार देते हुए कहा था कि यह आम लोगों के लिए बेहद परेशान करने वाला आदेश है। उन्होंने खुद के अनुभव का हवाला देते हुए बताया कि उन्हें अपने नाम को वोटर लिस्ट में अपडेट कराने में 10 दिन लग गए।
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि अगर एक सांसद को इतनी परेशानी होती है तो आम लोग कैसे इस प्रक्रिया से गुजरेंगे। गिरधारी यादव ने कहा कि उनका बेटा अमेरिका में है, उसके दस्तावेज मंगाना और दस्तखत करवाना आसान नहीं। इसी तरह बिहार के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ और खेती-बाड़ी के कारण लोग सरकारी दफ्तरों का चक्कर नहीं लगा सकते।
ऑनलाइन फॉर्म भरने की व्यवस्था पर भी सवाल
सांसद ने आयोग की ऑनलाइन फॉर्म भरने की व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा, “बिहार में बहुत से लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं। वे रोज़गार के लिए बाहर जाते हैं और कठिन परिस्थितियों में जीते हैं। ऐसे में उनसे ऑनलाइन फॉर्म भरने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?”
पार्टी का ऐतराज़ और नोटिस जारी
जदयू नेतृत्व ने इसे पार्टी की अधिकृत राय के खिलाफ मानते हुए नाराजगी जाहिर की है। पार्टी का कहना है कि गिरधारी यादव का यह बयान संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाता है और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति पार्टी की सोच से मेल नहीं खाता। इस वजह से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जो जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह एमएलसी अफाक अहमद खान ने जारी किया।
गिरधारी यादव की सफाई: “पार्टी विरोधी कुछ नहीं कहा”
इस पूरे मामले पर गिरधारी यादव ने अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, “मैंने कोई पार्टी विरोधी बयान नहीं दिया। मैंने सिर्फ चुनाव आयोग की प्रक्रिया में आई अपनी परेशानी साझा की है। यदि मुझे ये कठिन लगा, तो आम लोगों के लिए तो यह और भी मुश्किल होगा। जब तक हम पार्टी नेतृत्व या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के खिलाफ कुछ बोलें, तब तक कार्रवाई की कोई जरूरत नहीं।”