इंडो-नेपाल सीमा पर दोहरी नागरिकता का खेल : नेपाली नागरिक बना रहे फर्जी आधार और ले रहे भारत की योजनाओं का लाभ

विनय मिश्रा, कुनौली (सुपौल)
भारत-नेपाल सीमा पर दोहरी नागरिकता और फर्जी दस्तावेजों के जरिए लाभ उठाने का गंभीर मामला सामने आया है। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले कई नेपाली नागरिक न केवल भारतीय आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड और पहचान पत्र बनवा रहे हैं, बल्कि वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाकर भारत की सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ भी उठा रहे हैं।

सीमावर्ती गांवों में दस्तावेजों का फर्जीवाड़ा
सुपौल, मधुबनी से लेकर नेपाल के सप्तरी जिले तक के कई गांवों के लोग दोहरी पहचान रखकर भारत की योजनाओं में शामिल हो रहे हैं। मनरेगा के जॉब कार्ड, बुज़ुर्ग पेंशन, और राशन वितरण जैसी योजनाओं में इनका नाम दर्ज है। इतना ही नहीं, कई नेपाली परिवारों के नाम भारतीय भूमि रजिस्टर में दर्ज हैं।

पंचायत चुनावों में भी भूमिका
स्थानीय स्तर पर पंचायत चुनावों में राजनीतिक फायदे के लिए यह फर्जीवाड़ा बढ़ा है। कई पंचायत प्रतिनिधि नेपाली नागरिकों को भारतीय मतदाता के रूप में दर्ज कराने में भूमिका निभा रहे हैं, जिससे उनकी चुनावी स्थिति मजबूत हो सके। सीमा क्षेत्र में आधार और अन्य प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह सक्रिय हैं, जो ₹10,000 से ₹25,000 तक लेकर ये दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। आधार कार्ड बनने के बाद इन लोगों के पास एसबीआई, बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी बैंक जैसे भारतीय बैंकों में खाता भी खुल गया है, जिसका उपयोग हवाला और अवैध लेन-देन में किया जा रहा है।

नो-मैंस लैंड पर खेती और बसावट
भारत-नेपाल सीमा के कई इलाकों में नो-मैंस लैंड पर खेती और घर तक बना दिए गए हैं। यह क्षेत्र अब लगभग अतिक्रमित हो चुका है। कहीं खलिहान हैं, तो कहीं पक्के मकान। नेपाल के भूमि कानून के कारण कई भारतीयों ने अपनी ज़मीन नेपाल में बेच दी है, लेकिन कई अब भी ‘मोही’ प्रणाली के तहत कब्जा बरकरार रखे हुए हैं। वहीं, नेपाली नागरिक फर्जी आधार और भारतीय पहचान के सहारे भारत में ज़मीन खरीद रहे हैं, जो भारतीय क़ानूनों के विरुद्ध है।

प्रशासन मौन, कार्रवाई के लिए शिकायत का इंतजार
एसडीएम धीरज कुमार सिन्हा का कहना है कि अब तक इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि शिकायत मिलती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।