न्यूज स्कैन ब्यूरो, पूर्णिया/अररिया
यह बिहार की सियासत की ये नई तस्वीर है। पहली बार सीमांचल में पूर्णिया के सांसद पप्पू को तेजस्वी-राहुल का साथ और बोलने का मौका… दोनों मिला। तेजस्वी के साथ पप्पू की अदावत जगजाहिर है। लेकिन इस बार के संबोधन में राहुल गांधी के बाद पप्पू यादव ने सबसे ज्यादा प्रशंसा तेजस्वी यादव की ही की। तारीफ के एेसे पुल बांधे कि तेजस्वी को जननायक तक बना डाला। आगे संबोधन में तेजस्वी को अपना भाई बताया और उनके संघर्षों की जनकर प्रशंसा की। कहा तेजस्वी ही बिहार की एकमात्र उम्मीद हैं। पूर्णिया से आई इस तस्वीर को लेकर राजनीतिक विश्लेषण और बयानबाजी तेज है। यह तस्वीर न केवल एक नए सियासी एकता का संदेश देती है, बल्कि आगामी चुनावी लड़ाई में नए राजनीतिक संकेत भी छोड़ रही है। खासकर कोसी-सीमांचल और मिथिलांचल के लिए इसके अलग मायने हैं।
धक्कामुक्की के बाद अब एक साथ
कुछ ही दिनों पूर्व पटना में वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत में पप्पू यादव को राहुल और तेजस्वी के साथ गाड़ी में जगह नहीं मिली थी। धक्कामुक्की की तस्वीर वायरल हुई। मात्र तीन दिन पूर्व औरंगाबाद में पप्पू यादव को बोलने का मौका नहीं दिया गया। इस पर पप्पू की तीखी प्रतिक्रिया भी आई। लेकिन पूर्णिया की यात्रा में माहौल अलग था। पप्पू दोनों नेताओं के साथ मंच साझा करने के साथ-साथ जीप में भी साथ नजर आए और उन्होंने अपने अंदाज में संबोधन भी दिया। पप्पू यादव ने अब खुलकर तेजस्वी यादव को “जननायक” और “बिहार की एकमात्र उम्मीद” कहना शुरू कर दिया है। यह बयान सिर्फ सहयोग की औपचारिकता नहीं, बल्कि यह संकेत भी है कि पप्पू यादव भविष्य की रणनीति में खुद को किसी भी कीमत पर राजद और कांग्रेस खेमे के करीब लाना चाहते हैं।
सीमांचल में पप्पू का खास प्रभाव है। लंबे समय से वे खुद को जनता के नेता और सीमांचल के हितों की आवाज़ के रूप में स्थापित करते रहे हैं। लेकिन स्वतंत्र राजनीतिक ताकत के रूप में उनकी पकड़ सीमित रही है। बड़े गठबंधन में शामिल होना उनके लिए जरूरत भी है और चुनावी मजबूरी भी है।
तेजस्वी यादव की रणनीति
तेजस्वी को 2025 विधानसभा चुनाव में युवा चेहरा बनना है। उन्हें विपक्ष की मुख्य धुरी बनना है। पप्पू का साथ कोसी और सीमांचल में तेजस्वी की भी जरूरत और मजबूरी है। राहुल गांधी इस यात्रा से खुद को राष्ट्रीय विपक्षी एकता के केंद्र में रखना चाहते हैं।
पप्पू यादव का शामिल होना कांग्रेस के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इससे जमीनी समर्थन निश्चित तौर पर बढ़ेगा। NDA (भाजपा-जदयू) गठबंधन को चुनौती देने के लिए महागठबंधन को एकजुट छवि दिखाना ज़रूरी है। ऐसे में पप्पू यादव को जगह देना और मंच पर महत्व देना विपक्ष के लिए एक स्ट्रैटेजिक मैसेज है। पटना की उपेक्षा से लेकर पूर्णिया की साझेदारी तक, पप्पू यादव की राजनीति अब महागठबंधन के बड़े कैनवास पर जगह बनाने की ओर बढ़ रही है।