- प्राश्चियत करने के लिए जहानाबाद के शंभू का अनोखा तरीका
- कांवरिया पथ में हर कोई शंभू को कैदी बम कहकर पुकार रहा
देवघर। नाम कैदी बम…जंजीरों से बंधे दोनों हाथ और पैरों में बेड़ियां…गर्दन भी जंजीरों से जकड़ा हुआ…यह दृश्य किसी जेल, थाना या कचहरी का नहीं है, बल्कि कांवरिया पथ का है। अपनी गलती का प्राश्चियत करने के लिए बिहार के जहानाबाद (किनारी गांव) निवासी शंभू कुमार बाबा बैद्यनाथ का मुजरिम बनकर सुल्तानगंज से कांवर यात्रा शुरू की है। क्योंकि उनसे कोई गलती हो गई है, जिसका वह प्राश्चियत कर रहे हैं। शंभू का कहना है कि स्वयं बाबा बैद्यनाथ उनके स्वप्न में आए थे और बोले थे-तुमसे गलती हुई। इस स्वप्न के बाद शंभू विचलित हो गए और खुद को बाबा बैद्यनाथ की अदालत में दोषी मानते लगे। प्राश्चियत करने के लिए शंभू ने स्वयं को लोहे की जंजीर और बेड़ियों में जकड़ कर 105 किलोमीटर की कांवर यात्रा पूरी करने का संकल्प लिया। शंभू के कंधे पर गंगाजल के दो जलपात्र भी टंगे हैं, जिसे वे बाबा बैद्यनाथ पर अर्पित कर उनसे क्षमा याचना करेंगे। रास्ते में हर कांवरिया शंभू के इस रूप को देख आश्चर्यचकित है और उन्हें कैदी बम कह कर पुकार रहा है। शंभू भी कांवर यात्रा के दौरान लोगों को यह बताते चल रहे हंै कि वह बाबा बैद्यनाथ का मुजरिम है। 20 वर्षों से शंभू कांवर लेकर बाबाधाम आ रहे हैं, लेकिन कैदी का रूप पहली बार धारण किया है।
कंधे पर चार धाम, 200 किलो वजनी कांवर लेकर पहुंची टोली
पश्चिम बंगाल के हावड़ा के 40 कांवरियों की टोली 200 किलो वजनी कांवर लेकर शनिवार को देवघर पहुंचे। यह कांवर खास है, क्योंकि इसमें चारों धाम के दर्शन हो रहे हैं। 40 युवाओं को टोली ने मिलकर इस कांवर को सुल्तानगंज से बाबाधाम लाया। कांवर में चारों धाम बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी के मंदिरो की आकृति बनाई गई है, जो पूरे कांवरिया पथ में आकर्षण का केंद्र बना रहा। टोली के कांवरियों ने बताया कि हर साल अलग-अलग थीम पर कांवर तैयार करते हैं। इस वर्ष चार धाम की झांकी को कांवर में उतारने का प्रयास किया गया है। शनिवार दोपहर में यह टोली चार धाम की झांकी वाली कांवर लेकर देवघर पहुंची।