न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
देशरत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद पथ पर स्थित मारवाड़ी पाठशाला के गोपाल सिंह नेपाली सभागार में रविवार की पूर्वाह्न ११४वीं जयंती पखबीसा का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रकवि गोपाल सिंह नेपाली की पुण्यतिथि को समर्पित है, जिसे इस वर्ष शब्दयात्रा के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर ११ से ३१ अगस्त तक पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस पखबीसा (बीस दिवसीय स्मृति-अवधि) का शुभारंभ भी इसी पाठशाला से हुआ है और समापन भी यहीं होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मारवाड़ी पाठशाला के प्राचार्य डॉ. मिथिलेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रकवि गोपाल सिंह नेपाली का जन्म ११ अगस्त १९११ को पश्चिम चम्पारण के बेतिया में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के महानायक थे जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से देशभक्ति और समाज सुधार का संदेश दिया। १७ अप्रैल १९६३ को भागलपुर आते समय ट्रेन में उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। उनके पार्थिव शरीर को लगभग बीस घंटे तक इसी नेपाली सभागार में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया था, जिसके बाद अगले दिन बरारी श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

डॉ. मिथिलेश ने आगे बताया कि इस बार शब्दयात्रा के तहत पूरे देश में उनके गीत, कविताएं और रचनाएं पढ़ी एवं प्रस्तुत की जाएंगी, ताकि नई पीढ़ी में देशप्रेम और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़े।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी शिक्षिका स्नेहलता कुमारी ने किया। कार्यक्रम में छात्र सुशील कुमार एवं सहारा सोनम ने राष्ट्रकवि की प्रसिद्ध कविता प्रस्तुत की –
“ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से,
चर्खा चलता है हाथों से, शासन चलता तलवार से!”
इसके बाद कुमारी रूचि एवं सोनिका कुमारी ने भावपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ कविता पढ़ी –
“तू चिंगारी बनकर उड़ री, जाग-जाग मैं ज्वाल बनूं,
तू बन जा हहराती गंगा, मैं झेलम बेहाल बनूं!”
अंत में छात्र चक्रधर मंडल ने क्रांतिकारी भावों से ओतप्रोत कविता सुनाई –
“हो जाय पराधीन नहीं गंग की धारा,
गंगा के किनारों को शिवालय ने पुकारा,
शंकर की पुरी चीन ने सेना को उतारा,
चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा!”
इन कविताओं ने पूरे कार्यक्रम को एक देशभक्ति और क्रांति की भावना से सराबोर कर दिया।

इस अवसर पर उपस्थित सभी शिक्षक, छात्र एवं गणमान्य नागरिकों ने राष्ट्रकवि के जीवन और कृतित्व को याद करते हुए उनके अमर योगदान को श्रद्धापूर्वक नमन किया। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डॉ. मिथिलेश कुमार ने कहा कि गोपाल सिंह नेपाली जैसे साहित्यकारों की रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इस प्रकार, यह जयंती समारोह मारवाड़ी पाठशाला के लिए एक गौरवपूर्ण और देशभक्ति से परिपूर्ण सुबह साबित हुआ।



