- सबौर ममलखा में गंगा बांध टूटा – स्कूल समेत सैकड़ों घर जलमग्न, गांव का अस्तित्व खतरे में
रविंद्र कुमार शर्मा, भागलपुर
सबौर प्रखंड के ममलखा गांव में गंगा तटबंध आखिरकार टूट गया। यह वही जगह है जहां महीनों से ग्रामीण और स्थानीय नेता चेतावनी दे रहे थे कि कटाव-निरोधी कार्य में भारी अनियमितताएं हो रही हैं। गंगा का कटाव यहां इतनी तेजी से हो रहा था कि नदी रोजाना सैकड़ों मीटर जमीन निगल रही थी, लेकिन जल संसाधन विभाग का काम धीमी रफ्तार से चलता रहा।
चेतावनी को नजरअंदाज, नतीजा तबाही
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कहा कि काम की रफ्तार और क्वालिटी दोनों बढ़ाई जाए, वरना तटबंध टूट सकता है। लेकिन उनकी आवाज़ को अनसुना कर दिया गया। आखिर वही हुआ – तटबंध ध्वस्त हो गया और गंगा का विकराल पानी सीधे गांव में घुस आया।
स्कूल से लेकर घर तक पानी में डूबे
तटबंध टूटने के बाद ममलखा का सरकारी स्कूल पूरी तरह डूब गया। कक्षा में रखी किताबें, कॉपियां, ब्लैकबोर्ड, बच्चों के बैग – सब पानी में बह गए। सैकड़ों घर जलमग्न हो गए हैं। जहां कल तक बच्चों की पढ़ाई हो रही थी, वहां अब सिर्फ मटमैला पानी और टूटी बेंचें दिखाई दे रही हैं।
भागलपुर में बाढ़ का संकट
गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका असर सिर्फ ममलखा तक सीमित नहीं, बल्कि भागलपुर के कई पंचायतों और एनएच तक पर पड़ा है। गांवों में पानी घुस चुका है और लोग ऊंचे स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों का गुस्सा
ग्रामीण प्रशासन और जल संसाधन विभाग पर सीधा आरोप लगा रहे हैं कि सुस्ती और लापरवाही ने उन्हें बर्बादी के मुहाने पर ला खड़ा किया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानव निर्मित त्रासदी है।
“हम लोग महीनों से कह रहे थे कि काम तेज़ करो, लेकिन किसी ने सुना नहीं। अब देखिए, हमारा घर-बार, स्कूल सब पानी में चला गया। बच्चे कहां पढ़ेंगे, हम कहां रहेंगे, कोई पूछने वाला नहीं।”
-ग्रामीण