‘बाढ़ को प्राकृतिक आपदा मानना भ्रम, यह वास्तव में मानव-निर्मित संकट है’

  • गंगा मुक्ति आंदोलन के बैनर तले बाढ़ पीड़ितों की बैठक संपन्न, जिलाधिकारी को सौंपा जाएगा मांग पत्र
  • कला केंद्र, भागलपुर में बाढ़ की आपदा और समाधान विषय पर हुई जनसभा

न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर

गंगा मुक्ति आंदोलन के तत्वावधान में रविवार को कला केंद्र, भागलपुर में बाढ़ पीड़ितों की एक महत्वपूर्ण जन बैठक आयोजित की गई। “बाढ़ की आपदा और उसका समाधान” विषय पर केंद्रित इस बैठक में दर्जनों गांवों से आए बाढ़ प्रभावित नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बैठक की अध्यक्षता प्रो. योगेंद्र ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि, बाढ़ को प्राकृतिक आपदा मानना भ्रम है। यह वास्तव में मानव-निर्मित संकट है, जो गलत नीतियों और नदियों पर हस्तक्षेप का नतीजा है। बांध, बराज और तटबंधों ने बाढ़ को अनियंत्रित आपदा में तब्दील कर दिया है। इसका स्थायी समाधान तभी संभव है जब नदियों की प्राकृतिक धारा को मुक्त किया जाए। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता उदय ने सरकार की घोषणाओं को ‘प्रचार तक सीमित’ बताते हुए कहा कि, सरकारी मुआवजा और राहत योजनाएं धरातल पर नदारद हैं। पीड़ित परिवार अब भी बेसब्र इंतजार में हैं। गौतम मल्लाह ने बाढ़ शिविरों की बदहाल स्थिति की चर्चा करते हुए बताया कि, शिविरों में भोजन, स्वास्थ्य सेवाएं और साफ-सफाई की भारी कमी है। डीबीटी के तहत मिलने वाली मुआवजा राशि भी तकनीकी अड़चनों में फंसी हुई है। प्रतिनिधि रेखा कुमारी ने प्रशासन की कार्यशैली पर नाराज़गी जताते हुए कहा, अब तक घर पानी में डूबे हैं, लेकिन प्रशासन महिलाओं और बच्चों को जबरन घर भेजने पर आमादा है। यह न केवल असुरक्षित है, बल्कि अमानवीय भी है।

बैठक का संचालन संजय कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अर्जुन शर्मा ने प्रस्तुत किया। बैठक में बाक़ीर हुसैन, अलका सिंह, स्मिता, मनोज कुमार, रवि, देवेंद्र, रूपनारायण मंडल, श्रवण सहनी, सागर महतो सहित दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता और बाढ़ पीड़ित मौजूद रहे।

मांग पत्र सौंपने का सर्वसम्मत निर्णय

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं और मांगों को लेकर जिलाधिकारी, भागलपुर को एक मांग पत्र सौंपा जाएगा। इस पत्र में प्रमुख रूप से निम्नलिखित मांगें शामिल होंगी- सभी प्रभावित परिवारों को तत्काल पारदर्शी प्रक्रिया के तहत मुआवजा दिया जाए, राहत शिविरों में भोजन, स्वास्थ्य और स्वच्छता की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए,महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर शिविरों को समयपूर्व बंद न किया जाए, दीर्घकालिक समाधान हेतु सरकार तटबंधों की समीक्षा कर नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करने की नीति अपनाए, मुआवजा वितरण में आ रही तकनीकी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाए। बैठक में निर्णय लिया गया कि जब तक प्रशासन और सरकार बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं का समुचित समाधान नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।