घुप अंधेरी रात, तेज बारिश और बाढ़ में जिंदादिली का अनोखा संघर्ष — NH-80 के दोनों किनारों पर बाढ़ पीड़ितों की दर्दनाक कहानी

  • आधी रात को बाढ़ पीड़ितों के बीच The News Scan की टीम

मदन, भागलपुर

जिले के भवानाथपुर-मथुरापुर क्षेत्र में बाढ़ का पानी लोगों के घरों तक पहुंच चुका है। स्थानीय लोग, जो नाथनगर समेत आस-पास के क्षेत्रों से आए हैं, मजबूरी में बाढ़ के पानी के बीच अपना जीवन यापन करने को विवश हैं।

बरसात की तेज बूंदें और बिजली की कड़कती आवाज़ के बीच ये बाढ़ पीड़ित अपने बनाए हुए तंबुओं और चौकियों में आधी रात को भी चैन की नींद सो रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्होंने इस विपदा को अपनी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा मान लिया हो। न किसी से शिकायत, न प्रशासन से कोई मदद की उम्मीद।

सड़कें पानी से लबालब हैं, ये लोग छोटे-छोटे समूहों में एक-दूसरे का सहारा लेकर अपनी जान बचा रहे हैं। उनकी दृढ़ता और साहस इस कड़वी सच्चाई को उजागर करते हैं कि ये लोग जीवन की इस बड़ी परीक्षा में हार नहीं मानेंगे।

इस खौफनाक मंजर ने स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब तक सरकार और प्रशासन की ओर से इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित आश्रय, भोजन, साफ पानी और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है।

स्थानीय निवासी बताते हैं कि पानी उनके घरों में घुस चुका है, जिससे वे मजबूरन राष्ट्रीय राजमार्ग 80 के किनारे रहने को विवश हैं। उनकी सबसे बड़ी मांग है कि प्रशासन उनके लिए सुरक्षित पुनर्वास की व्यवस्था करें और इस आपदा से निजात दिलाएं।


The News Scan की टीम की विशेष रिपोर्ट: नाथनगर NH-80 पर बाढ़ पीड़ितों की दास्तां

मंगलवार की आधी रात The News Scan की टीम जब NH-80 के किनारे रहने वाले बाढ़ पीड़ितों की स्थिति जानने पहुंची, तो तेज बारिश जारी थी। बारिश से बचने के लिए कई लोग मिर्जापुर सत्संग नगर स्थित हनुमान मंदिर में शरण ले चुके थे।

प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी। जैसे ही टीम पहुंची, वहां पहले से मौजूद बाढ़ पीड़ित खाना खाने के लिए बार-बार आग्रह करने लगे। जब सभी ने मिलकर खाना शुरू किया, तभी बारिश और भी तेज हो गई।

कुछ लोगों ने बोरी की दीवार बनाकर बाहर खड़े होकर बारिश का पानी खाने पर आने से रोका। खाना परोसने वाले ऐसे व्यवहार कर रहे थे जैसे कोई मेहमान उनके घर आया हो, यह उनके विशाल दिल और मेहमाननवाजी का परिचायक था।

इसी बीच जनरेटर बंद हो गया। बिजली तो पहले से ही इस इलाके में काट दी गई थी। चारों ओर घुप अंधेरा था, काली अंधेरी रात, ट्रेन की डरावनी आवाज़ें, बारिश की बूंदों की टप-टप और बीच-बीच में बाइक की रोशनी।

कड़कती बिजली की चमक शायद इसी अंधकार में इन बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी में नया सवेरा लाने की उम्मीद की किरण थी।