प्रमोद कुमार, कैमूर
चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के बसावनपुर गांव से चुनावी मैदान में बड़ी खबर सामने आई है। ग्रामीणों ने इस बार चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने गांव के मुख्य पथ पर “स्कूल नहीं तो वोट नहीं” का बैनर लगाकर अपने गुस्से और नाराजगी का इजहार किया।
ग्रामीणों का कहना है कि आज़ादी के दशकों बाद भी उनके गांव में प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण नहीं हुआ है। इस वजह से गांव के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं और दिनभर मछली मारने और तास खेलने में समय बिताते हैं।
सिर्फ शिक्षा ही नहीं, गांव के पास तालाब की घेराबंदी भी नहीं की गई है और छठ पूजा के लिए घाट की कोई तैयारी नहीं हुई है। शुद्ध पेयजल की समस्या भी ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
ग्रामीण पप्पू कुमार पासवान, बिनोद कुमार और आरती कुँवर ने बताया कि उन्होंने इन समस्याओं को लेकर मंत्री और विधायक से कई बार गुहार लगाई, लेकिन अब तक किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। उनका कहना है —
“जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक हम वोट नहीं देंगे।”
बसावनपुर गांव की यह तस्वीर न केवल गांव की है, बल्कि उन तमाम इलाकों की भी है, जहां विकास के नाम पर सिर्फ वादे किए गए और काम आज भी अधूरा है।
मुख्य समस्याएँ
प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र का अभाव
तालाब की घेराबंदी और छठ घाट की व्यवस्था नहीं
शुद्ध पेयजल की कमी
सामुदायिक भवन का अभाव
ग्रामीणों का साफ संदेश है कि अब वादों से नहीं, हकीकत से काम चलेगा। उनके अनुसार बच्चों की शिक्षा और गांव का विकास तब तक रुका रहेगा जब तक सरकार और विधायक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देंगे।
















