साहित्य को आगे बढ़ाने वाले मूर्धन्य साहित्यकार थे चन्द्रनाथ मिश्र अमर

न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल

चन्द्रनाथ मिश्र अमर मैथिली भाषा – साहित्य को आगे बढ़ाने वाले मूर्धन्य साहित्यकार थे और वह विलक्षण भाव भंगिमा के साथ बहुत प्रभावी काव्य पाठ करते थे। ये शब्द हैं मैथिली के लब्धप्रतिष्ठ कवि-नाटककार आ मूर्धन्य भाषाविद उदय नारायण सिंह नचिकेता के, जो साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, किसुन संकल्प लोक, सुपौल और मिथिला रिसर्च सोसायटी, लहेरिया सराय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्वि दिवसीय चन्द्रनाथ मिश्र अमर जन्मशती राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई और आमंत्रित लेखक अतिथियों और दर्शकों का स्वागत साहित्य अकादेमी के उप सचिव एन सुरेश बाबु ने किया। उद्घाटन सत्र में बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कवि-संपादक केदार कानन ने कहा कि आज जो मैथिली साहित्य का विस्तृत और उर्वर परिदृश्य हम लोग देख रहे हैं, उसे मजबूत करने में चन्द्रनाथ मिश्र अमर और उनके समकालीन लेखकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा. सुभाष चंद्र यादव ने कहा कि चन्द्रनाथ मिश्र अमर ने साहित्य की कई विधाओं में लिखा, वह मैथिली के हरफनमौला लेखक थे, लेकिन उनकी हास्य-व्यंग्य कविताएं काफी चर्चित रहीं।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में पहला आलेख पाठ करते हुए डॉ. भास्कर ज्योति ने चन्द्रनाथ मिश्र अमर की कविताओं की विशेषताओं का विश्लेषण किया। मैथिली की सुपरिचित कथा लेखिका और प्राध्यापिका डॉ. अभिलाषा ने पंडित चन्द्रनाथ मिश्र अमर की कहानियों की विषयवस्तु का विश्लेषण करते हुए उसकी विशेषताओं को रेखांकित किया। पंडित अमर के पुत्र शंभुनाथ मिश्र ने पुत्र की नजर से उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
योगानंद झा ने पंडित चन्द्रनाथ मिश्र अमर की संपादन कला की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहा कि उन्होंने उत्तम पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का संपादन किया तथा उच्चतम पत्रकारीय मूल्यों का संवहन किया। प्रथम सत्र की अध्यक्षता हितनाथ झा ने की, जबकि दूसरे सत्र की अध्यक्षता गंगानाथ गंगेश ने की। दूसरे सत्र में शैलेन्द्र आनंद, कृष्णदेव झा, सुरेंद्र भारद्वाज और मेनका मल्लिक ने अपने अपने आलेखों का पाठ किया। पूरे दिन भर श्रोताओं ने इस अभिनव साहित्यिक संगोष्ठी का ध्यान से सुना और आनंद लिया। सुपौल में इस कार्यक्रम की चर्चा पिछले हफ्ते भर से हो रही थी। स्थानीय साहित्य प्रेमियों में नीता झा, अरविंद ठाकुर, रामकुमार सिंह, रमण कुमार सिंह, किसलय कृष्ण, कुमार विक्रमादित्य, आशीष चमन, सुस्मिता पाठक, केशव कुमार झा, प्रोफेसर रेणु कुमारी, दीपिका चंद्रा, सुप्रिया कुमारी,कुमारी सौम्या, प्रज्ञा कुमारी, उमा कुमारी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। आज भी भारी संख्या में श्रोताओं के इस संगोष्ठी में शिरकत करने की उम्मीद है।