अंग संस्कृति की अद्भुत छटा – बिहुला–बिषहरी भगत नृत्य का प्रदर्शन


न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
अंग प्रदेश की लोकआस्था और संस्कृति में गहराई से रचे-बसे बिहुला–बिषहरी भगत नृत्य का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। यह नृत्य परंपरा सदियों से इस क्षेत्र में नाग–पूजा और लोकदेवियों की आराधना से जुड़ा रहा है।

कहानी बिहुला की अमर गाथा से जुड़ी है, जिसने अपने मृत पति बलराम को पुनर्जीवित कराने के लिए बिषहरी माता की तपस्या की थी। इसी लोककथा को नृत्य और गीतों के माध्यम से जीवंत किया जाता है।

इस मौके पर भगत कलाकारों ने ढोल–मंजीरा की थाप और लोकगीतों के साथ नृत्य प्रस्तुत किया। नर्तक पारंपरिक वेशभूषा में सजे और मंच पर बिहुला, बलराम तथा बिषहरी का चरित्र निभाया।

स्थानीय लोगों की भीड़ इस लोकनृत्य को देखने के लिए उमड़ी रही। दर्शकों ने इसे केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर का सजीव दर्शन बताया।

सांस्कृतिक जानकारों के अनुसार, बिहुला–बिषहरी भगत नृत्य न सिर्फ अंग की लोककला की पहचान है बल्कि यह लोकजीवन के दुख–सुख, आस्था और सामाजिक एकजुटता की भी अनोखी अभिव्यक्ति है।