
न्यूज स्कैन ब्यूरो, पटना
पश्चिमी कोसी नहर के विस्तारीकरण और आधुनिकीकरण के लिए 8678.29 करोड़ की परियोजना को राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल गई। यह निर्णय सिर्फ एक सिंचाई परियोजना भर नहीं है। इसे एेसे समझना चाहिए कि यह पूर्वी भारत के लाखों किसानों की तकदीर बदलने वाला एेतिहासिक कदम है। सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से इसके क्रांतिकारी और सकारात्मक असर रहेंगे। किसानों की जिंदगी को बदलने वाला कदम है।
आइए, एक नजर इस योजना की विशेषताओं पर डालते हैं। 741 किलोमीटर लंबी नहर की कंक्रीट लायनिंग की जाएगी। 58,658 हेक्टेयर भूमि सिंचाई के लिए नये सिरे से तैयार की जाएगी। लाखों हेक्टेयर भूमि में नई तकनीक से सिंचाई संभव हो सकेगी जो खेती के लिहाज से इलाके की तस्वीर बदल देगी। सैकड़ों किलोमीटर सड़कों का निर्माण होगा। इन सड़कों से ग्रामीण कनेक्टिविटी को मजबूती मिलेगी। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य संजय कुमार झा ने इसके लिए मुंख्यमंत्री नीतीश कुमार व परयोजना में वित्तीय सहायता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया है।
अगर किसानों के लिहाज से देखें तो फसल विविधता आएगी। अब किसान पारंपरिक धान-गेहूं की फसल के अलावा मक्का, दलहन, तिलहन और सब्जियों की ओर कदम बढ़ा सकेंगे। अब अपने बिहार के किसान भी हरियाणा-पंजाब की तर्ज पर उच्च मूल्य वाली नकदी फसलों की खेती कर सकेंगे। निश्चित रूप से यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देने वाला होगा। वर्तमान में सबसे बड़ा संकट किसानों के लिए सूखा या असमय वर्षा है। यह दोनों मौसम में भरोसेमंद जलापूर्ति सुनिश्चित करेगी। इससे फसल उत्सादन में स्थिरता आएगी। सिंचाई में डीजल या बिजली पर निर्भरता घटेगी और खेती में लागत में कमी आएगी।
इस कदम का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव भी काफी सकारात्मक रहेगी। निर्माण कार्य के दौरान या उसके बाद भी नहर की मरम्मत, रखरखाव और जल प्रबंधन समितियों में स्थानीय श्रमिकों को रोजगार मिलेगा। सिंचाई सुविधाओं में बेहतरी का असर यह रहेगा कि खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। जमीन का बाजार मूल्य भी बढ़ेगा और किसान आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे। युवाओं का पलायन रुकेगा और कृषि आधारित स्टार्टअप के लिए भी रास्ते खुलेंगे।
निश्चित रूप से पश्चिम कोसी नहर विस्तार योजना केवल एक सिंचाई परियोजना नहीं, बल्कि क्रांतिकारी बदलाव की आधारशिला है।