राज्य सरकार ने शिक्षक नियुक्ति में स्थानीय उम्मीदवारों को बड़ी राहत दी, लेकिन डोमिसाइल का लाभ उठाने के लिए जरूरी होंगे दो अहम दस्तावेज
न्यूज स्कैन ब्यूरो, पटना
बिहार में शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए एक बड़ी खबर है। राज्य सरकार ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में डोमिसाइल नीति को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से बिहार के मूल निवासियों को अब 85 प्रतिशत पदों पर वरीयता मिलेगी। हालांकि इसका लाभ उन्हीं अभ्यर्थियों को मिलेगा, जिनके पास दो अनिवार्य दस्तावेज़ होंगे।
डोमिसाइल नीति को मिली कैबिनेट की मंजूरी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को इस नीति की घोषणा की थी, जिसके 24 घंटे के भीतर ही मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इसे स्वीकृति दे दी गई। मंत्रिमंडल सचिवालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने जानकारी देते हुए कहा कि शिक्षक भर्ती परीक्षा में बिहार के स्थायी निवासियों को प्राथमिकता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।
आरक्षण का पूरा गणित क्या है?
राज्य में पहले से ही एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी के लिए कुल 50% से अधिक आरक्षण है। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% सीटें आरक्षित हैं। डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद अब लगभग 85% पद बिहार के मूल निवासियों के लिए सुरक्षित हो जाएंगे।
किन दो दस्तावेजों से मिलेगा डोमिसाइल का लाभ?
डोमिसाइल का लाभ लेने के लिए अभ्यर्थियों के पास दो जरूरी सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है:
स्थायी निवास प्रमाण पत्र (Domicile Certificate)
अविवादित निवास प्रमाण पत्र (Residential Certificate/Local Resident Proof)
इन दस्तावेज़ों के बिना कोई भी अभ्यर्थी इस नई नीति के अंतर्गत मिलने वाले आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाएगा।