मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटने पर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी : अगर बड़ी संख्या में वोटर हटे तो हम हस्तक्षेप करेंगे

न्यूज़ स्कैन ब्यूरो, नई दिल्ली
बिहार में चल रही Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। अब इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी चेतावनी जारी की है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि यदि बड़ी संख्या में मतादाताओं के नाम हटे तो हस्तक्षेप होगा।

क्या है SIR प्रक्रिया?
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा 24 जून से एक विशेष प्रक्रिया शुरू की गई है जिसे Special Intensive Revision (SIR) कहा जा रहा है। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना और अयोग्य नामों को हटाना है। टीमें घर-घर जाकर सत्यापन कर रही हैं। चुनाव आयोग का दावा है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो मतदाता सूची की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए की जा रही है।

65 लाख वोटर “मिसिंग” या “डेड”? विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्षी दलों और याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया है कि SIR प्रक्रिया में करीब 65 लाख लोगों को या तो मृत घोषित कर दिया गया है या अनुपस्थित बताकर सूची से हटाया जा रहा है। जबकि इनमें से बड़ी संख्या में लोग जीवित और सक्रिय मतदाता हैं। आरोप यह हैं कि बिना नोटिस के नाम हटाए जा रहे हैं। कई जगह बीएलओ ने मृत व्यक्ति के नाम से फॉर्म भरवाए हैं। कई जीवित लोगों को मृत बताकर सूची से बाहर कर दिया।

कोर्ट ने कहा है कि अगर बड़ी संख्या में मतदाताओं को हटाया जाएगा तो वह हस्तक्षेप करने को बाध्य होगी। यह भी कहा है कि इपिट और आधार को पहचान का वैध दस्तावेज माना जाए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि राजनीतिक पार्टियों को एनजीओ की तरह काम करना चाहिए और प्रभावित लोगों को पहचान कर सामने लाएं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता कम से कम 15 उदाहरण कोर्ट के सामने रखे जिसमें जीवित व्यक्ति को मृत बताकर हटाया गया हो।

राजनीतिक विवाद
विपक्षी गठबंधन INDIA गठबंधन ने इसे सुनियोजित बताया है। कहा है कि योजनाबद्ध तरीके से मतदाता सूची से नाम हटाए गए हैं। यह चुनाव को प्रभावित करने का सीधा प्रयास है। वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि जो भी नाम हटाए गए हैं, वे सत्यापन के बाद हटाए गए हैं। आयोग ने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को आपत्ति दर्ज करने का मौका दिया जाएगा।