न्यूज स्कैन ब्यूरो, पटना
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि करीब 89 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काटे गए हैं। इस पर चुनाव आयोग (EC) ने कांग्रेस को सख्त लहजे में जवाब देते हुए कहा कि आपत्तियां केवल निर्धारित प्रपत्र (Form 7) में ही मान्य होंगी, पत्र लिखकर नहीं। बिहार SIR को लेकर कांग्रेस और चुनाव आयोग के बीच टकराव गहराता जा रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में गड़बड़ी, महिलाओं और प्रवासी वोटरों के नाम योजनाबद्ध तरीके से हटाए गए। चुनाव आयोग का जवाब है कि शिकायतें कानूनी प्रपत्र में ही मान्य होंगी, वरना कार्रवाई संभव नहीं।
EC का जवाब: “ठीक से पर्ची भरकर दें”
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) बिहार ने कांग्रेस के दावे पर कहा है कि यदि वास्तव में 89 लाख नाम काटे गए हैं तो कांग्रेस को निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के तहत निर्धारित फॉर्म में आपत्ति दर्ज करानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त के अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए EC ने दोहराया कि गलत नामों की शिकायतें केवल निर्धारित प्रारूप में ही स्वीकार्य होंगी। कांग्रेस नेताओं द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारियों को जो पत्र दिए गए हैं, वे प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं।

कांग्रेस ने कहा है कि …
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि पार्टी ने 89 लाख शिकायतें आयोग को दीं, लेकिन बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) की शिकायतें स्वीकार नहीं की गईं। बिहार के 90,540 बूथों में से 65 लाख वोट काटे गए। नाम काटने के चार कारण दिए गए। पलायन – 25 लाख,
मृतक – 22 लाख, अनुपस्थित – 9.7 लाख, अन्यत्र पंजीकरण – 7 लाख। 20,368 बूथों पर 100 से ज्यादा नाम काटे गए, जबकि 1,988 बूथों पर 200 से अधिक नाम हटाए गए। 7,613 बूथों पर 70% से अधिक महिलाओं के नाम काटे गए और हजारों बूथों पर महिलाओं को प्रवासी या मृतक श्रेणी में डाल दिया गया।