न्यूज स्कैन ब्यूरो, सुपौल
अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी विरोध दिवस के अवसर पर महिलाओं एवं बच्चों की क्रॉस-बॉर्डर तस्करी की रोकथाम और हिंसामुक्त मानवीय समाज के निर्माण को लेकर जिला मुख्यालय स्थित डिग्री कॉलेज, गौरवगढ़ में संवाद गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन ग्राम्यशील, सुपौल और मानव सेवा संस्थान सेवा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. रूपा कुमारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना ने कहा कि भारत सरकार ने क्रॉस बॉर्डर जिलों में मानव तस्करी, बाल श्रम, बाल विवाह की रोकथाम के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों को विकास, राहत और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करना है। बावजूद इसके, समाज से यह अभिशाप अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाया है।
समाजसेवी डॉ. निखिल कुमार सिंह ने कहा कि ‘इंडो-नेपाल बॉर्डर’ पर पिछले 25 वर्षों से मानव सेवा संस्थान सेवा, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर मानव तस्करी, बाल श्रम और उत्पीड़न के विरुद्ध प्रयास कर रहा है, लेकिन अब भी अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। इसलिए समाज में अधिक जागरूकता और सजगता की जरूरत है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. परमेश्वरी प्रसाद यादव ने कहा कि शिक्षा संस्थानों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों के खिलाफ आगे आना चाहिए। शिक्षक और छात्र इस दिशा में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं।
कार्यक्रम में कई शिक्षकों और छात्रों ने विचार साझा किए। इनमें सुरेश कुमार सुमन, विमल प्रसाद यादव, सुभाष चंद्र यादव, अरुण सिंह, सुधांशु कुमार, अमरेंद्र कुमार, भुवनेश्वरी प्रसाद यादव, सुरेंद्र प्रसाद यादव सहित छात्राएं नेहा कुमारी, मनीषा कुमारी, पुष्पा प्रिया आदि शामिल रहीं।
बच्चों के साथ प्रेरणा सत्र का आयोजन
इसी क्रम में सुपौल सदर प्रखंड के उच्च विद्यालय, चकडुमरिया, पिपराखुर्द में बच्चों के लिए एक प्रेरणा सत्र का आयोजन किया गया। इसमें मानव मूल्य टीम सदस्य चंद्रशेखर ने बच्चों को स्वयं के सुख के साथ समाज और प्रकृति के लिए योगदान देने की प्रेरणा दी।
उन्होंने बताया कि मानव का आचरण अनिश्चित है, यही सभी समस्याओं की जड़ है। शिक्षा का उद्देश्य मानवीय चेतना के साथ जीवन जीना होना चाहिए। बच्चों को समझदारी से व्यवहार करने, हिंसा से दूर रहने और समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने का संदेश दिया गया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में अभिषेक कुमार झा, सियाराम वर्मा, विद्यानंद, विनीता कुमारी सहित कई शिक्षकों का योगदान सराहनीय रहा।