न्यूज़ स्कैन ब्यूरो, मुंगेर
मिथिलांचल की परंपराओं में विशेष स्थान रखने वाला 13 दिवसीय मधुश्रावणी व्रत रविवार को पूरे धार्मिक विधि-विधान के साथ संपन्न हो गया। मुंगेर जिले के विभिन्न इलाकों—बसंत विहार कॉलोनी, गढ़ी रामपुर, जमालपुर, चिरैयाबाद, रतैठा और मालचक सहित कई गांवों में ब्राह्मण समुदाय की नवविवाहिताओं ने इस कठिन व्रत का पालन करते हुए अपने सुहाग की रक्षा की कामना की।
इस व्रत की शुरुआत 15 जुलाई को नाग पंचमी के दिन हुई थी। पूरे 13 दिनों तक नवविवाहिता महिलाएं बिना नमक का भोजन करती हैं, प्रतिदिन बगीचे से फूल तोड़कर पूजन करती हैं और संध्या में गीत-भजन के साथ पूजा संपन्न करती हैं।
व्रत के अंतिम दिन परंपरा अनुसार नवविवाहिता को अग्नि परीक्षा से गुजरना होता है। पूजा में जलते दीपक की बाती से दुल्हन के शरीर पर आठ स्थानों पर ‘टेमी’ दी जाती है। मान्यता है कि टेमी से बने घाव का आकार जितना बड़ा होगा, उतना ही इसे शुभ माना जाता है। इसके बाद चंदन लेप लगाकर घाव को शांत किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान दुल्हन का भाई पान के पत्तों से उसकी आंखें ढकता है।
व्रत के समापन पर ससुराल पक्ष से आए सौगातों को भगवान को अर्पित किया गया और सुहागन महिलाओं को भोजन कराया गया। साथ ही पूजन में उपयोग किए गए फूल, कलश, मिट्टी से बनी देवी-देवताओं की मूर्तियां, तथा सोने-चांदी की नाग-नागिन की आकृतियों को गीत गाते हुए गंगा में विसर्जित किया गया।