न्यूज स्कैन ब्यूरो, किशनगंज
भारत-नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) 41वीं बटालियन, रानीडांगा (पश्चिम बंगाल) की विशेष अभियान टीम ने एक संदिग्ध बांग्लादेशी युवक को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई खोड़ीबाड़ी क्षेत्र में बार्डर पीलर संख्या 90/4 के पास पानीटंकी पुराने पुल से करीब 400 मीटर की दूरी पर की गई। पकड़े गए युवक की पहचान पोलाश चंद्र राय (27) के रूप में हुई, जो बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले का निवासी है। उसे खोड़ीबाड़ी थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया है, जहां उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू हो गई है।
घुसपैठ का तरीका और नेटवर्क का खुलासा
एसएसबी ने तलाशी के दौरान पोलाश के पास से बांग्लादेशी राष्ट्रीय पहचान पत्र (2012-18), एक भारतीय आधार कार्ड, 4200 भारतीय रुपये और 70 बांग्लादेशी टका बरामद किया। पूछताछ में पोलाश ने खुलासा किया कि उसने 2024 में फुलवाड़ी सीमा के रास्ते अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया था। वर्तमान में वह पश्चिम बंगाल के छोटा बदरजोत में अपने मामा जगदीश वर्मन के साथ रह रहा था। कड़ी पूछताछ में उसने बताया कि उसका मामा बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और भारत-नेपाल सीमा पार कराने के गैरकानूनी धंधे में लिप्त है। इस काम के लिए वह मोटी रकम वसूलता है।
कानूनी कार्रवाई और जांच तेज
पोलाश के इस खुलासे के बाद पुलिस ने उसके मामा जगदीश वर्मन की तलाश शुरू कर दी है, जो फिलहाल फरार बताया जा रहा है। खोड़ीबाड़ी पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज कर दी है और अवैध प्रवेश व फर्जी दस्तावेजों के नेटवर्क का पता लगाने के लिए छानबीन शुरू की है। यह घटना भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ते अवैध प्रवेश और फर्जी दस्तावेजों के उपयोग की समस्या को उजागर करती है। एसएसबी और स्थानीय पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया जा रहा है।
बरामद सामान
बांग्लादेशी राष्ट्रीय पहचान पत्र (2012–2018)
भारतीय आधार कार्ड (संदिग्ध रूप से फर्जी)
₹4200 भारतीय रुपये
70 बांग्लादेशी टका
क्या कहता है यह मामला?
यह घटना केवल एक घुसपैठ का मामला नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत-नेपाल सीमा पर किस तरह सुरक्षा में सेंध लगाई जा रही है। बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में लाकर फर्जी पहचान और नागरिकता के दस्तावेज दिलवाने का संगठित रैकेट न सिर्फ देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचा सकता है।