किशनगंज के अस्पताल में शर्मनाक लापरवाही:40 KM जुगाड़ गाड़ी से पहुंची प्रसूता, अस्पताल में डॉक्टर नदारद, पिता ने पैदल पहुंचाया लेबर रूम

  • बिना एम्बुलेंस, बिना डॉक्टर… दर्द से तड़पती महिला की मदद को नहीं आया स्वास्थ्य विभाग

न्यूज स्कैन ब्यूरो, किशनगंज

जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली एक बार फिर सामने आई है। जिले के एक गांव की रहने वाली प्रसूता प्रियंका को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजनों ने जुगाड़ गाड़ी से करीब 40 किलोमीटर दूर किशनगंज सदर अस्पताल पहुंचाया। लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों की कथित लापरवाही का आलम यह रहा कि महिला को लेबर रूम तक ले जाने के लिए भी किसी स्वास्थ्यकर्मी ने मदद नहीं की। मजबूर होकर पिता बाबू लाल ने अपनी बेटी को कंधे के सहारे पैदल ही लेबर रूम तक पहुंचाया, जहां उसकी डिलीवरी हुई।

परिजनों के अनुसार, गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने के कारण उन्हें जुगाड़ गाड़ी से प्रियंका को अस्पताल ले जाना पड़ा। रास्ते में ही प्रियंका का वाटर डिस्चार्ज हो गया था, लेकिन एंबुलेंस या कोई आपातकालीन सेवा उपलब्ध नहीं हो सकी।

सदर अस्पताल पहुंचने पर प्रियंका के पिता ने चिकित्सकों को बुलाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन कोई डॉक्टर तुरंत मौके पर नहीं पहुंचा। इस बीच, प्रियंका की हालत बिगड़ती जा रही थी। ऐसे में पिता ने बेटी को खुद ही उठाकर लेबर रूम तक पहुंचाया।

यह घटना जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। ग्रामीण इलाकों में एंबुलेंस की कमी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का अभाव और अस्पतालों में चिकित्सकों की अनुपस्थिति स्थानीय लोगों के लिए जानलेवा संकट बनते जा रहे हैं।

प्रियंका के परिजनों और ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द गांवों में स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की जाए और एम्बुलेंस सेवाओं को बेहतर बनाया जाए। इस संबंध में जब सदर अस्पताल के प्रभारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।

यह मामला स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। ज़रूरत है कि प्रशासन ऐसी घटनाओं को गंभीरता से ले और स्थायी समाधान के लिए ठोस कदम उठाए।