- प्राथमिक विद्यालय मलपा, चौथम के चार बच्चों की डूबकर हुई थी मौत, चार दिन बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने जिम्मेदारी का दिलाना चाहा एहसास
अभिजीत सिन्हा। खगड़िया
बीते 22 जुलाई को खगड़िया के चौथम में चार मासूम विद्यालय की लापरवाही के कारण मौत के आगोश में समा गए। ऐसा इसलिये क्योंकि जिन चार बच्चों की मौत हुई है वो स्कूल से भागकर पानी में नहाने गए थे। मतलब कि विद्यालय के समय ही वे बाहर निकले। अब शिक्षा विभाग अपने शिक्षकों से स्पष्टीकरण पूछ मामले को ठंडे बस्ते में डालने की प्रयास में है। जबकि इस घटना में स्कूल के प्रबंधन पर सीधे कार्रवाई करनी चाहिए थी। “The News Scan” यह सवाल उठा रहा है कि जब अभिभावक अपने दिल के टूकरों को विद्यालय भेजते हैं तो उसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की होती है। अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण के लिए भेजते हैं, लेकिन खगड़िया जिले के चौथम में घटी घटना के बाद लोगों को डर लग रहा है कि सरकारी विद्यालय में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं।
सीधी कार्रवाई क्यों नहीं, क्या स्पष्टीकरण बचाव का है मौका
यहां सवाल यह उठ रहा है कि जो बच्चे विद्यालय के समय बाहर निकले उनकी जानकारी स्कूल प्रबंधन को क्यों नहीं हुई। क्या विद्यालय में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई सजगता नहीं थी ? क्या जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा 24 जुलाई को पूछे गए स्पष्टीकरण की स्क्रीप्ट दोषियों को बचाने का प्रयास है। ये वो सवाल हैं जो सीधे शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा कर रहा है।


विद्यालय में बैग रख भागे थे चारों बच्चे
इस पूरी घटना में गौर करने वाली बात ये है कि चौथम थाना क्षेत्र स्थित धुतौली पंचायत के वार्ड नंबर 16 निवासी ललित प्रसाद के पुत्र गोलू कुमार (12) और कर्ण कुमार (9) के अलावा अनोज प्रसाद की पुत्री अनु कुमारी (12) और अंशु कुमारी (10) कैसे विद्यालय से निकले। बताया जा रहा है कि विद्यालय में ये सभी मासूम अपनी बैग रखकर कुछ दूर मौजूद पोखर पर गए थे। इसका यह मतलब है कि जिस विद्यालय में ये पढ़ते थे वहां के प्रधानाध्यापक के द्वारा बच्चों की सुरक्षा को नजरअंदज किया जा रहा था।
घटना के चार दिन बाद क्यों नजर आई लापरवाही
चौथम के धुतौली गांव की इस घटना ने पूरे जिले सहित देश को झकझोर दिया है। लेकिन बिहार की शिक्षा व्यवस्था अपनी जिम्मेदारी से भागना चाह रहा है। घटना बीते 22 जुलाई को हुई है। लेकिन चार दिन बाद खगड़िया के जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने जिम्देरों को बचाने के लिए सिर्फ स्पष्टीकरण पूछ रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर बिहार के अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में दें तो उसकी जान माला की जिम्मेदारी भगवान भरोसे होगा।
क्या कहते हैं जानकार
इस घटना को लेकर तमाम जानकारों की एक ही राय है। खगड़िया के वरीय अधिवक्ता और समाज सेवी अजिताभ सिन्हा ने बताया कि विद्यालय समय की यह वो घटना है जो कई सवाल खड़े कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस समय एक साथ चार बच्चे विद्यालय से निकल गए उस समय क्लास टीचर कहां थे? विद्यालय के गेट को क्यों खोलकर रखा गया था। अजिताभ सिन्हा की माने तो इस मामले में स्पष्टीकरण पूछने के अलावा शिक्षा विभाग को सीधी कार्रवाई करने की जरुरत है, ताकि सरकारी विद्यालय को रेपोटेशन सही हो।
शिक्षा अधिकारी ने कहा कि मीटिंग है महत्वपूर्ण
बता दें कि इस मामले में “The News Scan” ने जिला शिक्षा पदाधिकारी अमरेन्द्र कुमार गोंड को फोन कर पूरे मामले अपनी बात रखने के लिए मौका दिया। हमने उनसे सवाल किया कि आपने बड़ी घटना घटित होने के चार दिन बाद क्यों संज्ञान लिया। आपने सीधी कार्रवाई न कर स्पष्टीकरण क्यों किया। सवाल के जबाव में जिला शिक्षा अधिकार ने कहा कि वे बहुत बड़ी मीटिंग में हैं। ऐसे मामलों को बाद में देखा जाएगा।