- The news Scan ने बाढ़ पीड़ितों के पास पहुंच उनके हालात जाने, जिंदगी दाव पर लगाकर लोग रोजमर्रा की जरुरते कर रहे हैं पूरा
अभिजीत सिन्हा, खगड़िया
“सुन लो हमारी भी पुकार सरकार” ये शब्द उन बाढ़ पीड़ितों का है जो अपनी जिंदगी के जद्दोजहद के लिए जूझ रहे हैं। मंगलवार को “The News Scan” जब उनके पास पहुंचा तो स्थिति काफी भयावह देखने को मिली। 9 गांव की करीब 20 हजार की आबादी ऐसी स्थिति में हैं, जिनको रोजमर्रा की जरुरत पूरा करने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालने की मजबूरी है। इनके पास न तो सरकार का कोई रहनुमा पहुंचा है न ही किसी जनप्रतिनिधि ने इनकी हालात को देखना मुनासिब समझा है। ये वे लोग हैं जो बाढ़ की चपेट में हैं। इनका घर पूरी तरह पानी से घिरा है। जिनकी पीड़ा कोई सुनने वाला नहीं है। “The News Scan” ने ग्राउंड जीरो पर जाकर जब इन गांव के वासिंदों की हालात देखी तो इनके पास मजबूरी के सिवा कुछ नहीं मिला।
9 गांव के 20 हजार की आबादी भगवान भरोसे
मंगलवार को “The News Scan” की टीम जब इन बाढ़ पीड़ितों के पास पहुंची तो इनकी लाचारी देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि इनकी मुसीबत कितनी बड़ी है। दियारा क्षेत्र के बरखंडी टोला, मथार, जंगली टोला, नवटोलिया, टीकापुर, तौफिर, सोनवर्षा, इंगलिश टोला सहित 9 ऐसे गांव हैं, जिनको गंगा के रौद्र रुप को प्रत्येक वर्ष देखना पड़ता है। या यूं कहा जाए की ये लोग इसके लिए पहले से तैयार होते हैं। स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत में पता चला कि इन 9 गांवों में करीब 20 हजार से ज्यादा आबादी बसती है। जिनके जीविका का मुख्य साधन कृषि ही है।

पीड़ितों ने कहा कोई देखने वाला ही नहीं
जब इन ग्रामीणों से उनकी परेशानियों को समझा गया तो पता चला कि वे लोग प्रत्येक वर्ष इस विभीषिका को झेलते हैं। इन सभी गांव के ग्रामीण मोहन यादव, रुप कुमार, ओमप्रकाश यादव, अरविंद कुमार, आजादा पासवान सहित कई ग्रामीणों ने कहा कि उनको देखने वाला कोई नहीं है। वे वर्षों से ऐसी स्थिति को झेल रहे हैं। पीड़ितों ने कहा कि चुनाव समय नेता आते हैं, ग्रामीण जब अपनी समस्या बताते हैं तो सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। उनके लिए सरकार कुछ सोचती ही नहीं है।

जान जोखिम में डालना मजबूरी
“The News Scan” की टीम ने जब उनकी हालात को जाना तो पता चला कि उनके लिए यह स्थिति प्रति वर्ष होती है। ग्रमीणों ने कहा कि मेडिकल इमरजेंसी में वे लोग भगवान के भरोसे होते हैं। किसी की तबियत खराब होने के बाद वे लोग नाव से खगड़िया शहर के अस्पताल पहुंचते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को झेलनी पड़ती है। जिनके प्रेगनेंसी के समय सभी लोग इश्वर से प्रार्थना करते हैं।