दलदल में धंसा TMBU: हर साल की बाढ़, हर साल की बेबसी

न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर बाढ़ और सिस्टम की नाकामी का शिकार बन गया है। गंगा की बाढ़ का पानी इस बार भी विवि कैंपस में घुस आया और अब पानी उतरने के बाद चारों तरफ कीचड़ और गंदगी का आलम है। जिस परिसर में छात्र-छात्राएं शिक्षा लेने आते हैं, वो आज दलदल में तब्दील हो चुका है।

सड़कों पर दलदल, हॉस्टलों में पानी

बाढ़ के चलते विश्वविद्यालय के हॉस्टलों में भी पानी घुस गया। छात्राओं को अचानक हॉस्टल खाली करना पड़ा और वे अपने घरों की ओर लौट गईं। अब जब पानी उतरने लगा है, तो सड़कें कीचड़ में समा चुकी हैं, पूरे परिसर में बदबू और गंदगी फैली हुई है।

वर्षों से प्लानिंग, लेकिन धरातल पर नहीं आई योजना

चौंकाने वाली बात यह है कि विश्वविद्यालय परिसर को हर साल जलजमाव से बचाने के लिए कई वर्षों से योजनाएं बन रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस जल निकासी सिस्टम नहीं बन पाया है। हर साल सर्वे होता है, हर साल इंजीनियरिंग विभागों की मीटिंग होती है, लेकिन परिणाम सिफर।

छात्रों का सवाल – हमारी पढ़ाई और सुरक्षा का क्या?

छात्र-छात्राओं का कहना है कि उन्हें अब विवि में आकर डर लगता है। ना सुरक्षा की गारंटी है, ना पढ़ाई के लिए सही माहौल। “हर साल हॉस्टल खाली करना पड़ता है। ये विश्वविद्यालय है या बाढ़ क्षेत्र?” – एक छात्रा ने गुस्से में कहा।

प्रशासन मौन, जिम्मेदार कौन?

विवि प्रशासन, नगर निगम और सिंचाई विभाग – तीनों एक-दूसरे पर उंगली उठा रहे हैं। बाढ़ नियंत्रण योजना आज भी केवल कागज़ों में सिमटी हुई है।


अब सवाल उठता है कि क्या यह विश्वविद्यालय शिक्षा का केंद्र है या प्रशासनिक उपेक्षा का स्मारक? क्योंकि जब शिक्षा के मंदिर दलदल में डूबते हैं, तो केवल बिल्डिंग नहीं, भविष्य भी धँसता है।