- नवगछिया में 75 से अधिक परिवारों ने किया महारुद्राभिषेक
- सात घंटे चला अनुष्ठान, नर्मदेश्वर व पार्थिव शिवलिंग पर हुआ अभिषेक; भजनों और रुद्राष्टकम पाठ से गूंज उठा परिसर
न्यूज स्कैन रिपाेर्टर, भागलपुर
सावन मास के पावन अवसर पर नवगछिया स्थित श्री शिवशक्ति योगपीठ में सोमवार को एक विशेष धार्मिक आयोजन में 75 से अधिक परिवारों ने एक साथ महारुद्राभिषेक किया। इस अवसर पर नर्मदेश्वर और पार्थिव शिवलिंगों की स्थापना कर सात घंटे तक सामूहिक रूप से वैदिक विधि से अभिषेक किया गया।
इस महाआयोजन में श्री वेद विद्यापीठ गुरुधाम बौंसी एवं योगपीठ के 36 से अधिक विद्वान आचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिपूर्वक रुद्राभिषेक संपन्न कराया। परिसर में भक्ति, आस्था और श्रद्धा का वातावरण सघन रहा।
स्वामी आगमानंद रहे उपस्थित
पूरे आयोजन की अगुवाई श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर एवं श्री उत्तरतोताद्रि मठ, अयोध्या के उत्तराधिकारी जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने की। उन्होंने मंच से प्रत्यक्ष रूप से प्रत्येक शिवलिंग के समक्ष पूजन करा रहे आचार्यों व श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन किया तथा अंत में महाआरती के साथ आयोजन का समापन कराया।
भजनों और रुद्राष्टकम पाठ से बना भक्ति का माहौल
कार्यक्रम के दौरान भजन गायकों द्वारा भोलेनाथ की स्तुति से वातावरण भावमय बना रहा। विशेष आकर्षण का केंद्र सामूहिक रूप से रचित गोस्वामी तुलसीदासकृत रुद्राष्टकम “नमामि शमीशान निर्वाण रूपं…” का गायन रहा, जिससे उपस्थित जनसमूह भावविभोर हो उठा।
दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालु
इस धार्मिक आयोजन में भागलपुर, बांका, दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा सहित अन्य जिलों और बाहर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए। आयोजन को देखने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ जुटी रही।
तुलसीदास और प्रेमचंद जयंती पर आयोजित हुई गोष्ठी
रुद्राभिषेक अनुष्ठान के पश्चात गोस्वामी तुलसीदास एवं मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर एक विद्वत गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता स्वामी आगमानंद जी ने की। गोष्ठी में वक्ताओं ने श्रीरामचरितमानस को भारतीय संस्कृति का मूल स्तंभ बताते हुए प्रेमचंद को यथार्थवादी साहित्य का पुरोधा कहा। इस अवसर पर मानस कोकिला कृष्णा मिश्रा, पं. ज्योतिन्द्राचार्य, गीतकार राजकुमार, आलोक कुंदन, डॉ. नीलम महतो, प्रो. आशा ओझा, पं. शिवनंदन, अनुराग पंकज, सुबोध दा, विवेक कुमार, अरविन्दाक्षण मांडबथ समेत अनेक विद्वान, साहित्यकार एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे।