- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सारी प्रक्रिया होगी पूरी, पर्यटन विभाग की देख -रेख में शुरू होगा काम
मदन, भागलपुर
भागलपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर कहलगांव स्थित बटेश्वर स्थान के डेवलपमेंट के लिए मास्टर प्लान बनकर तैयार हो गया है। पर्यटन विभाग की ओर से इस दिशा में पहल तेज कर दी गयी है। एजेंसी की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। एजेंसी के आर्किटेक्ट ने मंगलवार को भागलपुर के डीएम नवल किशोर चौधरी के सामने प्रेजेंटेशन दिखाया। इसमें डीएम की ओर कुछ महत्वपूर्व सुझाव दिए हैं। अब प्रस्ताव में उन सुझावों के आधार पर बदलाव कर उसे फाइनल कर विभाग को सौंपा जायेगा। इसके बाद इस दिशा में काम में गति आएगी। सम्भावना जताई जा रही है की बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले इसकी स्वीकृति मिल जाएगी और इसके साथ ही विकास का काम शुरू हो जायेगा।

अब तक तैयार प्रस्ताव के मुताबिक बटेश्वर स्थान के विकास के तहत वहां धर्मशाला का निर्माण होगा। डॉल्फिन वाच टावर बनेगा। रेस्टोरेंट का भी निर्माण होगा। इसके साथ ही बोटिंग और फ्लोटिंग जेटी की भी सुविधा मिलेगी। साथ ही शांति वन को भी डेवलप किया जायेगा। वहां नेचुरल थेरेपी सेंटर, योग स्थल, वेलनेस सेंटर की भी सुविधा मिलेगी, ताकि यहाँ जाकर लोग शांति और सुकून के पल बीता सके। इसके अलावा ग्लास ब्रिज भी छोटे आकार का बनेगा। इसके अलावा गाड़ियों की पार्किंग की भी सुविधा रहेगी। इसके साथ ही लाइटिंग के साथ बैठने की भी व्यवस्था रहेगी। डीएम नवल किशोर चौधरी ने बताया की इस दिशा में पहल की जा रही है। जल्द ही निर्माण भी शुरू होगा और लोगों को कई तरह की सुविधा मिलेंगी। इससे पर्यटन का भी विकास होगा और उस इलाके में आर्थिक समृद्धि भी आएगी। वहीं एजेंसी के आर्किटैक्ट ने बताया की प्रस्ताव तैयार है, पर्यटन विभाग की ओर से इस पर काम चल रहा है। बटेश्वर स्थान का रीडेवलपमेंट करने की योजना पर काम चल रहा है।
प्रस्तावित बटेश्वर स्थान के डेवलपमेंट के लिए मास्टर प्लान में क्या-क्या है
1.धर्मशाला और होटल

- स्थानीय शैली के साथ पारंपरिक वास्तुकला का सम्मिश्रण।
- धर्मशाला: शयनगृह + निजी कमरे, सामुदायिक रसोईघर।
- होटल: आधुनिक कमरे, गंगा का दृश्य, छत पर भोजन।
- दोनों में हरित भवन पद्धतियाँ (सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन) शामिल होंगी।
- बैंक्वेट होटल: आधुनिक सुख-सुविधाएँ और स्थानीय वास्तुकला।
- साझा स्थान: आध्यात्मिक पुस्तकालय, ध्यान क्षेत्र
2 . रेस्टोरेंट और पर्यटक गाइड केंद्र

- नदी किनारे स्थित कैफ़े/रेस्तरां, जहाँ स्थानीय व्यंजन परोसे जाते हैं
- पर्यटक सूचना केंद्र:
- स्थानीय मानचित्र और गाइड
- बहुभाषी सहायता
- हेरिटेज वॉक की जानकारी
- नदी किनारे कैफ़े
- हैंगिंग कैफ़े
3 . नाव की सवारी और डॉल्फिन वेधशाला

- तैरता हुआ घाट
- धार्मिक और दर्शनीय मार्गों के साथ गंगा नाव की सवारी
- डॉल्फिन वेधशाला:
- दूरबीन बिंदुओं वाला वॉचटावर/डेक
- लुप्तप्राय गंगा डॉल्फ़िन के बारे में जानकारी।
- गंगा डॉल्फ़िन अवलोकन डेक एक स्थायी अवलोकन मंच है।
- लाइफ जैकेट और विवरण के साथ निर्देशित इको-बोट की सवारी।
- पक्षी दर्शन, सूर्योदय भ्रमण।
- गंगा नदी की जैव विविधता के बारे में जागरूकता बढ़ाएँ।
- डॉल्फिन वेधशाला
4 . शांति वन (लैंडस्केप गार्डन) वेलनेस सेंटर

- मालिश, विश्राम और स्वास्थ्य
- योग स्थलों को बढ़ावा देना
- सुरक्षा, सीसीटीवी, आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा केंद्र।
- देशी वनस्पतियों वाला लैंडस्केप गार्डन
- पथ, इको-लाइटिंग और बैठने की जगह
- पार्किंग क्षेत्र (ईवी के साथ)
- कचरा पृथक्करण और खाद बनाने की इकाइयाँ।
- सौर वॉकवे लाइटिंग
5 . धार्मिक एवं सांस्कृतिक सुविधाएँ

- चौड़ी सीढ़ियों और छायादार चबूतरों वाला पुनर्निर्मित घाट।
- चेंजिंग रूम और लॉकर।
- पूजा क्षेत्र
- जटिल मार्ग।
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आरती समारोहों के लिए स्थान
6 . सतत एवं सांस्कृतिक एकीकरण

- स्थानीय सामग्रियों और कारीगरों का उपयोग।
- सौर प्रकाश व्यवस्था और बिजली बैकअप।
- सांस्कृतिक संकेत, भित्ति चित्र, कहानी कहने वाली विशेषताएँ।
- जल संरक्षण: रिचार्ज पिट, एसटीपी।
- अपशिष्ट प्रबंधन: प्लास्टिक पर प्रतिबंध, स्वच्छ नदी तट मिशन।
- पर्यावरण जागरूकता और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा।
- ऊर्जा कुशल बैठने की व्यवस्था/यात्री
7 . आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव
- स्थानीय लोगों (गाइड, नाविक, विक्रेता) के लिए रोज़गार।
- धार्मिक पर्यटन, पारिस्थितिक पर्यटन और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा (जो अंततः गुफा अन्वेषण और लंबी पैदल यात्रा के अवसरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करेगा)।
- स्थानीय कारीगरों और खाद्य विक्रेताओं के लिए अवसर।
- क्षेत्र के राजस्व में वृद्धि।
- शिल्प और विरासत पारिस्थितिक तंत्र का पुनरुद्धार।