स्पर बहा, पसीना नहीं!छाता-पंखा तले अफसरों का ‘निरीक्षण’

  • छह करोड़ का तटबंध एक महीने में ढहा, निरीक्षण के नाम पर अफसरों की ‘थकान दूर’


रवीन्द्र कुमार शर्मा, भागलपुर


पिछले महीने ही गंगा तट पर 6 करोड़ की लागत से बना स्पर संख्या-9 अब गंगा में समा चुका है। जहां हालात का जायजा लेने पटना से जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख शरद कुमार और मुख्य अभियंता जमील पहुंचे, वहीं उनकी ‘विज़िट’ ने एक अलग ही सवाल खड़ा कर दिया है—क्या अधिकारी निरीक्षण करने आए हैं या यहां ‘पिकनिक’ मना रहे हैं?

तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि एक अधिकारी पेडेस्टल फैन के सामने बैठकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में व्यस्त हैं, जबकि दूसरे अधिकारी, बादलों के बीच भी छाते की छांव में निरीक्षण कर रहे हैं। जबकि उसी क्षेत्र के ग्रामीण तटबंध टूटने से चिंतित हैं और बाढ़ के खतरे को लेकर डरे हुए हैं।

भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद अनिल यादव ने इस स्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा, “यहां अधिकारी बाढ़ रोकने की बजाय व्यवस्था का मज़ाक बना रहे हैं। जो काम युद्ध स्तर पर होना चाहिए था, वह पूरी तरह लापरवाही की भेंट चढ़ गया है। अधिकारी यहां पिकनिक मना रहे हैं और ग्रामीण बर्बादी के डर से सहमे हैं।”

स्पर ढहने की वजह गंगा के घटते जलस्तर के साथ-साथ निर्माण में लापरवाही भी मानी जा रही है। महज एक महीने में करोड़ों की लागत से तैयार संरचना का इस तरह गायब हो जाना गंभीर सवाल खड़े करता है।

ग्रामीणों का कहना है कि बारिश बढ़ने पर हालात और भयावह हो सकते हैं, लेकिन अधिकारी सिर्फ दिखावे की निगरानी कर अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं।