एक दीवार, दो कानून! स्मार्ट सिटी भागलपुर की रंगीन लापरवाही

  • DBA भवन के सामने नगर निगम की दीवार पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की रंगीन गड़बड़ी

न्यूज स्कैन रिपाेर्टर,  भागलपुर 

 यह कोई मज़ाक नहीं, हकीकत है! भागलपुर की स्मार्ट सिटी परियोजना ने “स्मार्टनेस” की परिभाषा ही बदल दी है। DBA भवन के सामने नगर निगम की दीवार पर NO PARKING की चेतावनी तो दी गई है, लेकिन सिर्फ एक हाथ की दूरी पर दो अलग-अलग जुर्माने की राशि लिखकर नियमों का मज़ाक उड़ाया गया है।

“NO PARKING” का यह कैसा फॉर्मूला?

 दीवार के एक सिरे पर जुर्माना: ₹500

उसी दीवार पर कुछ कदम आगे जुर्माना: ₹5000

तो अब क्या लोग टेप लेकर नापें कि वे ₹500 की सीमा में हैं या ₹5000 की? यह “पेंट से पॉलिसी तय करने वाली भागलपुर नगर सरकार” की मिसाल बन गई है।

यह गलती नहीं, सोच का दिवालियापन है!

यह कोई गलती नहीं, बल्कि नगर निगम और स्मार्ट सिटी लिमिटेड की सामूहिक बेवकूफी और गैर-जवाबदेही का खुला सबूत है। कई लाख रुपये खर्च कर दीवारों पर रंग-बिरंगे फूल और पक्षी बना दिए गए, लेकिन कोई ये देखने तक नहीं आया कि वहां लिखी चेतावनी और नियमों में तर्क और एकरूपता है भी या नहीं।

रंग-बिरंगी दीवार, लेकिन सोच काली!

यह दीवार “स्मार्ट सिटी” नहीं, “कंफ्यूज़ सिटी” की ब्रांडिंग करती है। क्या नगर निगम खुद तय नहीं कर पा रहा कि कितने का जुर्माना है? क्या यह जनता को गुमराह करने की खुली कोशिश नहीं?

जनता का सवाल, अफसरों की चुप्पी!

स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी विसंगतियों से केवल भ्रष्टाचार और अवैध वसूली को बढ़ावा मिलेगा। “जब नियम ही अस्पष्ट हैं, तो कार्रवाई किस आधार पर होगी?” यह आम नागरिक का सवाल है, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं।

पब्लिक डिमांड 

1. संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो

2. जुर्माना राशि की स्पष्टता और एकरूपता लागू हो

3. स्मार्ट सिटी परियोजना के हर कार्य की निगरानी समिति से जांच हो

एक्सपर्ट की टिप्पणी

यह घटना केवल एक दीवार पर लिखे दो नंबरों की नहीं है, यह “नियोजनहीन निगम प्रशासन” और “प्रदर्शनवादी शहरीकरण” की पोल खोलती है। सवाल यह है कि दीवारें रंगने से शहर स्मार्ट होता है या सोच से?