विवादों की विरासत, टिकट की लालसा: भागलपुर भाजपा में पुराने दागदार चेहरे फिर कतार में

  • भागलपुर में दागदार चेहरों की ‘फोटोशूट राजनीति’ से पार्टी की साख पर संकट, वायरल वीडियो-ऑडियो और विवादित अतीत भी नहीं रोक पा रहा टिकट की दौड़
  • दागदारों की दस्तक: वायरल वीडियो वाले VIP बन बैठे! भाजपा में दागदार चेहरों की बहार

प्रदीप विद्रोही | भागलपुर

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भागलपुर इकाई इन दिनों अजीब दुविधा में है। टिकट की दौड़ में शामिल कुछ चेहरे ऐसे हैं, जिनका अतीत खुद पार्टी के लिए सिरदर्द रहा है। जिन नेताओं के खिलाफ कभी थानों में शिकायतें दर्ज हुईं, जिनके वायरल वीडियो से पार्टी की छवि धूमिल हुई—वही अब खुद को भावी विधायक घोषित कर पोस्टर-बैनर और फोटोशॉप की राजनीति कर रहे हैं।

तस्वीर और तिकड़म की राजनीति

पार्टी के बड़े नेताओं के आगमन की भनक लगते ही कुछ ‘स्व-घोषित दावेदार’ सबसे पहले कैमरे के सामने पोज़ देते हैं। बाद में वही तस्वीरें फोटोशॉप से सजाकर सोशल मीडिया पर ‘टिकट फिक्स’ का भौकाल खड़ा किया जाता है। भागलपुर की भाजपा राजनीति अब सेवा और संगठन से ज़्यादा सेल्फी और स्टेटस में सिमटती जा रही है। स्थानीय जनता पूछ रही है—क्या विधायक बनने का नया फार्मूला केवल कैमरा फ्रेंडली चेहरा, एक वायरल फोटो और कुछ राजनीतिक नारे रह गया है?

वायरल ऑडियो और वीडियो ने खोली पोल

सूत्र बताते हैं कि कुछ नेताओं से जुड़े ऑडियो और वीडियो पूर्व में पटना से दिल्ली तक चर्चा का विषय बन चुके हैं। एक वायरल ऑडियो में कथित रूप से एक नेता ‘पैसे लेकर पद’ देने की बात करता सुनाई देता है। वादाखिलाफी पर संबंधित व्यक्ति ने पूरा संवाद रिकॉर्ड कर उसे सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिया। वहीं, उस नेता के आज के दावे—”मैं भागलपुर सदर से प्रबल दावेदार हूं”, सुनकर पार्टी के ही कई वरिष्ठ नेता असहज हो जाते हैं।

‘बाबा के शिष्य’ और ‘ठेकेदार नेता’ भी लाइन में

टिकट की दौड़ में एक ऐसा नेता भी शामिल है जो खुद को कभी पीरपैंती तो कभी कहलगांव का दावेदार बताता रहा है। आज वह भागलपुर सदर से टिकट मांग रहा है। उसका एक अश्लील वीडियो वर्षों पहले वायरल हुआ था। पेशे से ठेकेदार इस नेता पर साझेदारी में काम करके बेईमानी करने और ‘ठेका राजनीति’ करने के आरोप लगते रहे हैं।

‘झोटा-झोटी’ की चर्चा फिर हुई ताज़ा

एक महिला भाजपा नेत्री भी टिकट की दौड़ में हैं, जिनका विवादित वीडियो और ‘झोटा-झोटी’ प्रकरण कभी पुलिस थाने तक पहुंचा था। लंबे समय तक राजनीति से गायब रहने के बाद अब वे पोस्टर-बैनर के सहारे कहलगांव सीट से अपनी सक्रियता दिखा रही हैं। कहा जा रहा है कि पहले इनसे जुड़ा नाम कई बड़े नेताओं के साथ भी ‘शाम की मुलाकातों’ में सुर्खियों में रहा करता था। अब वही नेत्री फिर से “नेता नहीं, नेटफ्लिक्स” टाइप राजनीति का चेहरा बनती दिख रही हैं।

कहलगांव, पीरपैंती और सदर—तीनों सीटों पर दागदार चेहरों की चहलकदमी

सूत्रों के अनुसार, जिन चेहरों को लेकर भाजपा को पहले खेद जताना पड़ा था, वे अब टिकट की प्राथमिकता सूची में खुद को सबसे ऊपर साबित करने में लगे हैं। इन चेहरों से जुड़े कई मुकदमे आज भी पेंडिंग हैं।

भाजपा आलाकमान की अग्निपरीक्षा

अब सवाल यह है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व ऐसे ‘वायरल’ नेताओं के बीच किसे टिकट देता है? क्या पार्टी संगठन सेवा, निष्ठा और समर्पण के पुराने मूल्यों पर लौटेगी या फिर सेल्फी-पोस्टर-फोटोशॉप की राजनीति में बह जाएगी?